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Black Fungus-Prevention & Ayurvedic treatment

ब्लैक फंगस- बचाव व आयुर्वेदिक चिकित्सा
कोरोना का कोहराम अभी खत्म नहीं हुआ हैं तो ब्लैक फंगस नामक रोग सुर्खियों में आया है। कई मरीजों के लिए चिंता का सबब बन चुकी परेशानी है, फंगल इंफेक्शन जिसे ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस भी कहा जाता है। डायबिटीज़ के बाद अब भारत म्यूकरमाइकोसिस के मामले में भी दुनिया में सबसे आगे है। इसका सीधा संबंध कोविड से उबर रहे मरीज के अनियंत्रित डायबिटीज़ से है। भारत में पहले भी ये बीमारी होती रही है लेकिन बहुत दुर्लभ। पहले देश में सालभर में ऐसे बमुश्किल 4-5 केस आते थे लेकिन अचानक कोरोना से उबर गए लोगों में ये बीमारी तेजी से फैल रही हैं।
ब्लैक फंगस शरीर में नाक, मुंह व त्वचा के द्वारा प्रवेश करता है शरीर के जिस हिस्से में इंफेक्शन है, उस पर बीमारी के लक्षण निर्भर करते हैं। काला फंगस संसर्गजन्य नहीं हैं यह मुख्यतः दांत, नाक, मस्तिष्क व फेफड़ों को आक्रांत करता है। दांत को आक्रांत करने पर मसुढ़े लालसर, काले हो जाते है। दांत दर्द, ऊपर के मसुढ़े के दात ढीले होते हैं। नाक को आक्रांत करने पर नाक बंद होना, नाक से काला या लाल स्त्राव होना, नाक की त्वचा काली पडती है। चेहरे और माथे के साइनस उभर सकते है और दर्द भी होता है। आंख पर प्रभाव होने पर आंख के नीचे सूजन व कालापान, आंखों के आसपास दर्द या आंखों की रोशनी कम होना, आंख से अस्पष्ट दिखता हैं या अंधत्व तक देखने को मिल सकता है। मस्तिष्क के प्रभावित होने पर सतर्कता कम हो जाती है, रोगी को झटके आते है। फेफड़े के प्रभावित होने पर थूक में कफ या रक्त आता है व श्वास कष्ट होता है।
बचावः- ब्लैक फंगस दिमाग में पहुच गया तो खतरनाक साबित हो सकता है अतः बचाव के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें-
. कंस्ट्रक्शन साइट व डस्ट वाले एरिया में न जाएं, गार्डनिंग या खेती करते वक्त फुल स्लीव्स से ग्लब्ज पहनें, डबल मास्क पहने, उन जगहों पर जाने से बचें, जहां पानी का लीकेज हो, जहां ड्रेनेज का पानी इकठ्ठा हो।
. सार्स-कोव-2 संक्रमण से बचने की पूरी कोशिश करें।
. कोरोना के रोगी को आॅक्सीजन देते समय उपयोग में आने वाला पानी स्वच्छ व फिटकरी वाला या सलाइन वाटर प्रयोग करें।
. कपड़े का मास्क प्रयोग करने से उसकी स्वच्छता पर भी ध्यान दें, उसे धोकर कड़क इस्त्री करना भी उत्तम उपाय है। आयुर्वेद में वर्णित धूपन द्रव्यों से उसका धूपन करें इससे फंगस से बचाव होगा।
. हाइपरग्लाइसीमिया को कंट्रोल करें। कोरोना से निजात पाने के बाद भी अपना ब्लड शुगर चेक करते रहें, खासकर डायबिटीज के मरीज।
. स्टेराॅयड का उपयोग सही तरीके से करें, सही समय, सही खुराक और अवधि डाॅक्टर के निर्देशानुसार करें।
. एंटीबायोटिकध् एंटीफंगल का प्रयोग भी ठीक ढंग से डाॅक्टर के मार्गदर्शन में करें।
, आॅर्बिट व दिमाग के सीटी स्केन या एम आर आई और ई.एन.टी (ENT) विशेषज्ञ से जांच कराएं।
आयुर्वेद दृष्टिकोण-*आयुर्वेदानुसार ब्लैक फंगस को कृष्ण मधुरिका संक्रमण कहते है।कोविड व पोस्ट कोविड के रोगी ध्यान दें-
. कोविड व कोविड के बाद आहार सेवन में बदपरेहजी- आहार की मात्रा व स्वरूप योग्य न होना, पचने में भारी आहार का सेवन करना, कोविड के कारण पचन शक्ति क्षीण होने के कारण ऐेसा भारी व विष्टंभी आहार हर रोज सेवन करने से आयुर्वेदानुसार शरीर में आम( विषारी पदार्थ) तैयार होता है। जिसके कारण शरीर में फंगस होने की संभावना बढ़ती है। अतः आयुर्वेदानुसार रोग ठीक होने के बाद भी शरीर की 15-20 दिन देखभाल करना आवश्यक है। कोविड में होनेवाला बुखार ठीक होने के बाद हल्का, सुपाच्य व सात्विक आहार जिसमें घृत (शुद्ध घी) का योग्य उपयोग करें। अतः वैघ के मागदर्शन में आहार योजना निर्धारित कर रसायन औषधि शुरू करें।
. कोविड काल में व उसके बाद भी शरीर की स्वच्छता कीे ओर ध्यान देंः-
कोविड काल व पोस्ट कोविड काल में भी स्वचछता को नजरअंदाज न करें। उसे पूर्ण करने के लिए आयुर्वेदीय पंचकर्म के निम्न उपायों का प्रयोग करें-
1.अभ्यंग- संपूर्ण शरीर की तेल मालिश व पादाभ्यंग(पैर के तलवों की मालिश)
2 नीम, बबुल, गुडुची से दंतधावन (दांतों का ब्रश करना ) या फिटकरी (स्फटिक भस्म) 5 ग्राम, हल्दी चूर्ण 10 ग्राम, संेधा नमक 20 ग्राम, नीमपत्र चूर्ण 10 ग्राम मिलाकर मंजन बनाएं। इस मंजन में 2 बूंद सरसो का तेल मिलाकर जबड़ों पर लगाएं व गर्म पानी के कुल्ला करें।

  1. गंडूष- औषधियों के काढ़े या तिलतेलध् नारियल तेल का कुल्ला करना
  2. नस्य- नाक में तेलध्घी प्रविष्ट करना। नाक में 2-2 बूंद सरसों या षडबिंदु तेल डाले।
  3. अंजन- काजल के समान आंखों को लगाने की औषधि। आंख में गोघृतध्त्रिफला घृत पिघला कर 2 बूंद डालें।
  4. धूपन- इस प्रक्रिया के द्वारा राल, अगर, कर्पुर, नीम पत्र, गुगुल इत्यादि हवन में उपयोगी सामग्री से वातावरण को धूआं किया जाता हैै ।
  5. शिरोधारा- इस प्रक्रिया के द्वारा ललाट पर तेल की बूंद-बूंद की धारा गिराई जाती हैै।
    . मानसिक स्वास्थ्य
    शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मन के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना आज की आवश्यकता है। अतः अति चिंता, भय, क्रोध न करें व नींद पर्याप्त करें।
    आयुर्वेदिक उपचार– ब्लैक फंगस उनको ही होता हैं जिनकी इम्यूनिटी कम होती है जैसे कोरोना के मरीज या डायबिटीज के रोगी। जीकुमार आरोग्यधाम में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए इम्युनिटी बुस्टर काढ़ा बनाया गया है जो कि अत्यंत प्रभावी परिणाम दे रहा हैं। इसे कोविड़ व पोस्ट कोविड़ के रोगी में प्रयोग किया जा सकता हैं। इसके अलावा जीकुमार आरोग्यधाम का मधुहर चुर्ण भी मधुमेहियों के लिए वरदान साबित हो रहा हैं इससे बढ़ी हुई शुगर तो कम होती है साथ ही डायबिटीज़ के कारण होने वाले उपद्रव से बचाव होता है।
    ब्लैक फंगस में मुख्यतः एंटी फंगल, शोथहर, इम्यूनिटीवर्धक औषधि दी जाती है। फंगस में नीम, बाकुची, मंजिष्ठा, तुलसी, चित्रक, शुद्ध भल्लातक, चक्रमर्द, खदिर, अश्वगंधा, भुई आमलकी, गुडुची, यष्टिमधु, आरोग्यवर्धिनी, सूक्ष्म त्रिफला, मल्लसिंदुर, रसमाणिक्य, समीरपन्नग, शुद्ध.हरताल, ताम्र भस्म, कैशोर गुग्गुल. पंचतिक्तघृत गुग्गुल, सुदर्शन घन वटी, गोमूत्र,यशदभस्म, इरिमेदादि तेल इत्यादि आयुर्वेदिक औषधियां चिकित्सक के मार्गदर्शन में लेने से लाभ होता हैं।
    अंतः जिन्हें कोरोना हो चुका है, उन्हें पाॅजिटिव अप्रोच रखना चाहिए। कोरोना ठीक होने के बाद भी रेगुलर चेकअप कराते रहें। यदि फंगस के लक्षण दिखें तो तत्काल डाॅक्टर के पास जाना चाहिए। इससे ये फंगस शुरूआती दौर में ही पकड़ में आ जाएगा और सही समय पर इलाज हो सकेगा। वर्तमान में ब्लैक फंगस से काफी रूग्णों को परेशानी हो रही है। अतः आधुनिक चिकित्सा शास्त्र की औषधियों के साथ आयुर्वेदिक औषधि व पंचकर्म से अच्छे परिणाम मिलने की संभावना है।
    डाॅ.जी.एम.ममतानी
    डाॅ. अंजू ममतानी
    जीकुमार आरोग्यधाम
    238,कस्तूरबा नगर, नारा रोड
    जरीपटका,नागपुर-14
    07122646600,2645600,2647600
    www.mamtaniayurveda.com

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G Kumar Arogyadham has grown leaps and bounds after its establishment on 30th January 2000. It was the effort of Dr. G. Kumar Mamtani and his wife Dr. Anju Mamtani, also an Ayurvedic graduate having expertise in Yoga Therapy, because of which all kind of facilities for complete treatment are available for the patients.

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