हर साल दुनिया में लगभग 10 करोड लोग डेंगू (Dengue Fever) के शिकार होते है। भारत में भी हर साल कई लोगो की डेंगू के कारण मृत्यु हो जाती है। हमें रोज सोशल मीडिया, समाचार पत्रों में या टी.वी पर डेंगू का आतंक देखने को मिलता है। समय की मांग है कि इस बीमारी के बारे में लोगो में अधिक से अधिक जागरुकता फैलाई जाए।
डेंगू यह एक वायरस बीमारी है जो कि डेंगू वायरस के 4 प्रकारों में से किसी एक प्रकार के वायरस से होता है। जब कोई रोगी डेंगू से ठीक हो जाता है, तब उस मरीज को उस एक प्रकार के डेंगू वायरस से लम्बे समय के लिए प्रतिरोध (Immunity) मिल जाती है परंतु अन्य 3 प्रकार के डेंगू वायरस से डेंगू दोबारा हो सकता है। दूसरी बार होने वाला डेंगू काफी गंभीर हो सकता है जिसे Dengue Hemorrhagic fever कहते हैं।
डेंगू कैसे होता है?
यह हवा, पानी, साथ खाने से या छूने से नहीं फैलता है। डेंगू संक्रमित स्त्री /मादा जाति के एडीज इजीप्टी (Aedes aegypti) नामक मच्छर के काटने से होता है। अगर किसी व्यक्ति को डेंगू है और उस व्यक्ति को यह मच्छर काट कर उसका खून पीता है तो उस मच्छर में डेंगू वायरस युक्त खून चला जाता है। जब यह संक्रमित मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काट लेता है तो डेंगू वायरस उस स्वस्थ व्यक्ति में चला जाता है। यदि कोई गर्भवती डेंगू से संक्रमित होती है तो वह गर्भावस्था या प्रसव के दौरान अपने बच्चे को वायरल दे सकती है।
कैसे फैलता है डेंगू-
- बारिश के मौसम में डेंगू सबसे ज्यादा फैलता है।
- मच्छर कूलर में जमे पानी, नालों के रुके हुए गंदे पानी और सड़को के गड्ढों में जमे पानी से पैदा होते हैं।
- डेंगू के मच्छरों का असर उन व्यक्तियों पर जल्दी होता है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है।
लक्षण
संक्रमित मच्छर के काटने के 3 से 14 दिनों बाद डेंगू के लक्षण दिखने शुरु होते है। तेज ठंडी लगकर बुखार आना, सिरदर्द, आंखों में दर्द (डेंगू की सबसे आम समस्याओं में से एक हैं), बदनदर्द, जोड़ो में दर्द, भूख कम लगना, जी मिचलाना, उलटी, दस्त लगना , त्वचा के नीचे लाल चट्टे आना।
गंभीर डेंगू के लक्षण-Dengue Hemorrhagic fever की गंभीर स्थिति में आंख, नाक में से खून भी निकल सकता है। कुछ डेंगू के मामलों में त्वचा, मसूड़ों से भी खून, उल्टी, पेशाब या मल से भी खून निकलने लगता है, डेंगू से होने वाले फीवर को डेंगू शॉक सिड्रोम (DSS) कहा जाता है जिसमें पेट दर्द, डिहाइड्रेशन, अधिक रक्तस्राव और ब्लड प्रेशर कम-ज्यादा होता रहता है। अत्याधिक थकान व बेचैनी या चिड़चिड़ापन भी आता है। गंभीर डेंगू का इलाज न होने पर मरीज की मौत तक हो सकती हैं। इसलिए गंभीर लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल में भर्ती करना चाहिए।
डेंगू का निदान
आमतौर पर लक्षणों से समझ में आ सकता है। प्रारंभिक चरण में किए गए ब्लड टेस्ट से एनएस 1 एंटीजन पाज़िटिव का पता चल जाता है। लगभग एक सप्ताह के बाद आईजीएम एंटीबॉडीस का पाज़िटिव होगी। आम तौर पर कुल व्हाइट ब्लड कांउट बहुत नीचे चला जाता है। प्लेटलेट्स कम हो सकते है। लिवर फंक्शन टेस्ट असामान्य हो सकते है। कैपिलरी रिसाव के कारण हीमोग्लोबिन बढ़ सकता है।
डेंगू बुखार जैसी अन्य बीमारियां
टाइफाइड, स्क्रब टाइफस, लेप्टास्पायरोसिस और फाल्सीपेरम प्रकार के मलेरिया का टेस्ट करवाने की आवश्यकता हो सकती है। वायरल हेपेटाइटिस के शरूआती लक्षण भी ऐसे ही होते है।
उपचार–
डेंगू से बचना है तो सबसे जरुरी है मच्छरों से बचना। डेंगू के लक्षण दिखते ही चिकित्सक से संपर्क करें। डेंगू का रोकथाम ही इसका सबसे अच्छा और बेहतर उपचार है। इसकी कोई विशेष दवा या टीका भारत में नहीं है। वायरल रोग होने के कारण इसकी दवा निर्माण करना बेहद कठिन कार्य है। इसमें लाक्षणिक चिकित्सा की जाती है। इस रोग से शरीर पर होनेवाले दुष्प्रभाव से बचने के लिए रोगी को डॉक्टर की सलाह अनुसार आराम करना चाहिए और समय पर दवा लेना चाहिए। रोगी को पर्याप्त मात्रा में आहार और पानी लेना चाहिए। बुखार या सिरदर्द के लिए Aspirin,Brufen का उपयोग न करें। डॉक्टर की सलाह अनुसार नियमित प्लेटलेट संख्या की जांच करना चाहिए। हमारी रोगप्रतिकार शक्ति डेंगू से लड़ने में सक्षम होती है, इसलिए हमें हमेशा योग्य संतुलित आहार और व्यायाम द्वारा रोग प्रतिकार शक्ति को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।
बचाव के उपाय-
घर के अंदर और आस-पास पानी जमा न होने दे। कोई भी बर्तन में खुले में पानी न जमने दे। बर्तन को खाली कर रखंे या उसे उलटा कर रख दे। अगर आप किसी बर्तन, ड्रम या बाल्टी में पानी जमा कर रखते है तो उसे ढक कर रखे। अगर किसी चीज में हमेशा पानी जमा कर रखते है तो पहले उसे साबुन और पानी से अच्छे से धो लेना चाहिए, जिससे मच्छर के अंडे को हटाया जा सके। घर में कीटनाशक का छिड़काव करें। खिड़की और दरवाजे में जाली लगाकर रखे। ऐसे कपड़े पहने जो पूरे शरीर को ढक सके। रात को सोते वक्त मच्छरदानी लगाकर सोएं। अन्य मच्छर विरोध उपकरणों का इस्तेमाल करे अगर बच्चे खुले में खेलने जाते है तो उन्हें शरीर पर mosquito repellent cream लगाएं और पूरे शरीर ढके ऐसे कपड़े पहनाए। अपने आस-पास के लोगों को भी मच्छर को फैलने से रोकने के लिए प्रोत्साहित करें। अपने आस-पास में अगर कोई डेंगू या मलेरिया के मरीज का पता चलता है तो इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग एवं नगर निगम को दे, जिससे तुरंत मच्छर विरोध उपाय योजना की जा सके। डेंगू के ज्यादातर मरीजों की मृत्यु प्लेटलेट संख्या कम होने से या खून के अभाव में होती है। 5 दिन से अधिक बुखार होने पर ब्लड टेस्ट कराएं।
घरेलू उपचार-
इम्युनिटी बढ़ाने के लिए विटामिन सी युक्त फलों जैसे संतरे, मौसंबी, अंगूर, स्ट्रॉबेरी, जामुन और नींबू का सेवन करें। घर में नीम का धुआं करें। पपीते के पत्तों का जूस दिन में 2-3 बार पीएं, प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ने लगेगी। अब बाजार में पपीते के सत्व की दवा भी मिलती है जो कि डॉक्टर जरुरत होने पर आपको लेने की सलाह दे सकते हैं। गिलोय की बेल का सत्व मरीज को दिन में 2-3 बार देने से खून में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ती है व बुखार भी कम होता है। ज्यादा नमक और मसालेदार खाना न खाएं, फ्रेश फल और ताजा खाना खाएं, नारियल पानी, जूस या सादा पानी पीएं।
डेंगू बुखार का प्रभावी आयुर्वेदिक उपाय-
- गिलोय घन वटी 2-2 सुबह शाम।
- पपीते के पत्ते का ताजा रस 1 कप, गेहूं के जवारे का रस 1/2 कप, पंचतुलसी अर्क 2 बूंद इन सब को मिलाकर सुबह शाम पियें।
- हरसिंगार (पारिजातक) के पत्ते का क्वाथ प्रत्येक घंटे 3-4 बार दें।
- दालचीनी चूसने के लिये-दिन में 2-3 बार दें।
हरसिंगार के पत्ते का क्वाथ बनाने की विधि-
10 हरसिंगार के पत्ते, 8 काली मिर्च, 5-7 तुलसी के पत्ते इन सभी को 1 लीटर पानी में धीमी आंच पर पकायें। पानी चतुर्थांश बचने पर उतारकर ठंडा करें व छानकर रखे इसी क्वाथ को प्रत्येक घंटे पर 3-4 चम्मच पिलाएं।
उपरोक्त उपाय चिकित्सक के परामर्शा नुसार लें।
डॉ. जी.एम. ममतानी
एम.डी. (आयुर्वेद पंचकर्म विशेषज्ञ)
‘जीकुमार आरोग्यधाम’,
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