मधुमेह में नपुंसकता

मधुमेह में नपुंसकता

मधुमेह (डायबिटीज) से ग्रस्त रुग्ण में सेक्स निश्चित रूप से प्रभावित होता है। यदि मधुमेह के रुग्ण में रक्त शर्करा नियंत्रण में नहीं हो रही है, तो इसका दुष्प्रभाव अन्य अंगों के साथ जननांगों पर भी पड़ता है। अतः मधुमेह पीड़ित रुग्णों में यह दुष्प्रभाव दिखने पर सबसे पहले रक्त शर्करा की मात्रा को सामान्य करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। कभी-कभी देखा गया है कि मधुमेह से ग्रस्त रुग्ण मानसिक रूप से भी विक्षिप्त हो जाता है। अतः उनमें नपुंसकता का एक कारण मानसिक भी होता है। इसलिए मधुमेह पीड़ित में सेक्स के प्रति रुचि कम होने पर योग्य चिकित्सक के मार्गदर्शन में निदान कर उपचार कराना चाहिए, न कि इधर-उधर लुभावने इश्तिहार या सुनी-सुनायी दवाइयों का सेवन ।

मधुमेह पीड़ितों को अक्सर उच्च रक्तचाप होता है। इसके लिए आधुनिक चिकित्सा पद्धति में बीटाब्लाकर इत्यादि एलोपैथी औषधियां लेनी पड़ती हैं। इन औषधियों के दुष्परिणाम के कारण भी नपुंसकता आती है। अतः चिकित्सक का मार्गदर्शन लेकर ही इन औषधियों को बदलना चाहिए। डायबिटीज में नपुंसकता आने पर जीकुमार आरोग्यधाम के विशेष चिकित्सा पैकेज व जड़ी-बूटियों से निर्मित वाजीकरण औषधियों के प्रभावकारी परिणाम मिल रहे हैं।

प्रमुख कारण

‘डायबिटीज और सेक्स’ इस विषय पर अध्ययन करते हुए हमने पाया कि मधुमेह का स्त्री और पुरुष दोनों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे यह रोग पुराना होता जाता है, वैसे-वैसे उनकी सेक्स क्षमता पर ग्रहण लग जाता है। जीर्ण स्वरूप में इसके कारण संतानोत्पत्ति में बाधा, शीघ्रपतन आदि समस्याएं पनपने लगती हैं। इस बीमारी से पीड़ित स्त्रियों में सहवास के प्रति उदासीनता आने लगती है या फिर उन्हें संभोग के दौरान तीव्र दर्द होने लगता है। लंबे समय तक अनियंत्रित मधुमेह की दशा बनी रहने पर अंगविशेष से संबंधित रक्तवाहिनियों और स्नायु-तंत्रिकाओं में कई प्रकार के विकार उत्पन्न होने लगते हैं। जननेंद्रियों से संबंधित रक्त धमनियों के कठोर और संकरी हो जाने अर्थात् एथिरोस्क्लेरोसिस की दशा में सहवास के दौरान पर्याप्त मात्रा में रक्त का संचार नहीं हो पाता है, फलस्वरूप उनमें पूर्ण उत्तेजना नहीं आ पाती है। साथ ही स्वैच्छिक प्रकार की स्नायु-तंत्रिकाओं में विषमताएं उत्पन्न होने की वजह से जननेंद्रियों से संबंधित पेशियां सामान्य रूप से सक्रिय नहीं हो पातीं और न ही जननेंद्रियों के तनाव व वीर्य स्खलन के कार्य को ठीक ढंग से पूर्ण कर पाती हैं।

पुरुषों में यौनेच्छा की कमी

मधुमेह की जीर्णावस्था में पुरुषों का शरीर निस्तेज एवं शक्तिहीन-सा रहने लगता है। शारीरिक कमजोरी, आलस्य, मन की उदासीनता और उत्साह की कमी के कारण पुरुषों की यौनेच्छा दबी रहने लगती है। इस अवस्था में पुरुष यदि सेक्स प्रक्रिया में शामिल होना भी चाहे, तो भी मानसिक दशा के कारण उसकी जननेंद्रिय में सामान्य तनाव नहीं आ पाता। कुछ मामलों में यदि सामान्य तनाव आ भी जाए, तो स्नायुतंत्रिकाओं में उत्तेजना बढ़ी होने की वजह से वीर्य स्खलन पर उसका नियंत्रण नहीं रह पाता है और वे शीघ्र ही स्खलित होने लगते हैं। अनियंत्रित मधुमेह के चलते रोगी की मनोदशा भी ठीक नहीं रहती। उनके मस्तिष्क में डोपामिन जैसे तंत्रिका-सम्प्रेरक रसायनों का रिसाव अधिक मात्रा में होने लगता है, जो मनोविकारों के लिए जिम्मेदार होता है। इससे जननेंद्रिय से संबंधित मस्तिष्क में स्थित तंत्रिकाओं पर प्रभावी नियंत्रण नहीं रह पाता और उनमें नपुंसकता का खतरा बढ़ जाता है। इन मरीजों में यौन-संबंध रुचिकर न होने की वजह से धीरे-धीरे कामशीतलता जैसे लक्षण पनपने लगते हैं। माना जाता है कि सामान्य व्यक्ति की तुलना में डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति में 10-15 वर्ष पूर्व ही यौन क्षमता में कमी होती है।

मस्तिष्क की मुख्य भूमिका

पुरुष का शिश्न सामान्य अवस्था में शिथिल पड़ा रहता है। कामेच्छा जागृत होने पर मस्तिष्क सुषुम्ना के माध्यम से शिश्न से संबंधित स्नायुतंत्रिकाओं को संदेश देकर शिश्न को यौन समागम के लिए तैयार होने की प्रेरणा देता है। इस समय तंत्रिकाओं से प्रेरित शिश्न की मांसपेशियों में रक्त संचार तीव्र होकर वहां पर संचित हो जाता है। इसके फलस्वरूप शिथिल शिश्न में तनाव आ जाता है और वह सख्त होकर लंबाई में बढ़ जाता है। मधुमेह की अवस्था में यह सारी व्यवस्था गड़बड़ा जाती है। मधुमेह में स्नायुतंत्रिकाओं में विकार आ जाने से मस्तिष्क और शिश्न के मध्य संवेदनाओं व प्रतिवर्त क्रियाओं का आपसी सामंजस्य बिगड़ जाता है, जिससे मांसपेशियों पर तंत्रिकाओं का सही नियंत्रण नहीं रह पाता। इसी तरह मधुमेह के कारण रक्त धमनियों के सख्त और संकरा हो जाने से कामोत्तेजना के समय पर्याप्त मात्रा में रक्त का संचार नहीं हो पाता। परिणामस्वरूप या तो शिश्न में आधा-अधूरा ही तनाव आता है या फिर शिश्न में आया कड़ापन शीघ्र ही ठंडा पड़ जाता है।
लिंग में पर्याप्त तनाव न आने के मुख्यतः 2 कारण होते हैं।
1) स्नायु संबंधी (Nerves Neuropathy) और
2) रक्त नलिका संबंधी

अन्य प्रमुख यौन विकार

पुरुषों में मधुमेह रोग के साथ यौन संबंधी 2 विकार और भी देखने को मिलते हैं।
1) यौन प्रक्रिया के शुरू होते ही वीर्य का तुरंत स्खलित हो जाना अर्थात् शीघ्रपतन ।
2) यौन प्रक्रिया में शिश्न मुख से वीर्य बिल्कुल न निकलना अर्थात् Retrograde Ejaculation
शीघ्रपतन की समस्या 50 प्रतिशत से अधिक पुरुष रोगियों में मधुमेह होने के 5 से 6 वर्ष के भीतर ही शुरू हो जाती है। यह स्थिति मधुमेह के कारण स्नायुतंत्रिकाओं की संवेदना घट जाने अथवा अत्यधिक बढ़ जाने के कारण शुक्राशय से मूत्रनली तक वीर्य ले जाने वाली नलिकाओं के आंतरिक वाल्व के खराब हो जाने से उत्पन्न होती है। ऐसी अवस्था में जब संभोग प्रक्रिया के अंतिम चरण में पहुंचकर पुरुष का वीर्य स्खलित होता है, तब वह मूत्र नली से सीधा शिश्न द्वार की तरफ न आकर पीछे मूत्राशय की तरफ जाने लगता है। इसे Retrograde Ejaculation कहते हैं, जो पुरुषों में देखी जाने वाली यौन संबंधी एक गंभीर अवस्था है।

शिलाजीत अत्यंत प्रभावी

अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा में परंपरागत रूप से प्रयुक्त की जाने वाली शिलाजीत भी यौन संबंधी विकारों को दूर करने में अत्यंत प्रभावी है। इसमें अनेक खनिज तत्व अपने ऑक्साइड के रूप में मौजूद रहते हैं। शिलाजीत में 4.43 प्रतिशत के लगभग बैन्जोइक एसिड भी पाया जाता है, जो इसमें उनमें रक्त धमनियों पर सीधा प्रभाव डालकर उन्हें फैला देता है। इससे उनमें रक्त का संचार बढ़ जाता है। इसलिए कुछ दिनों तक शुद्ध शिलाजीत के सेवन के पश्चात यकृत, गुर्दों व जननांगों संबंधी सूक्ष्म रक्तवाहिनियां पुनः खुल जाने से रक्त का संचार सामान्य होने लगता है। शिलाजीत के सेवन से इन अंगों की कार्यक्षमता सुधर जाती है। यह यकृत और अग्न्याशय जैसी ग्रंथियों की ओर रक्त संचार बढ़ाकर मधुमेह के नियंत्रण में भी सहयोग करती है।

मेथी दाना रामबाण औषधि

रसोईघर में सामान्य तौर पर मसाले के रूप में प्रयुक्त की जाने वाली मेथी (दाने के स्वरूप में) मधुमेह पर नियंत्रण रखने के साथ-साथ रक्त में कोलेस्ट्राल के स्तर को घटाकर रक्तवाहिनियों को लचकदार और सामान्य बनाए रखने में सहायता करती है। प्रति 100 ग्राम मेथी में 160mg कैल्शियम, 37mg फास्फोरस, 125mg मैग्नेशियम, 14mg लौह, 530 mg पोटेशियम, 1.91mg जिंक, 0.064mg क्रोमियम खनिज रहते हैं। मैग्नेशियम और कैल्शियम पेशीय संकुचन में मदद करते हैं, जबकि फास्फोरस अस्थियों के लिए लाभकारी होने के साथ तंत्रिकाओं के कार्य में भी सहयोग देता है। इनके अलावा मैग्नेशियम, जिंक, क्रोमियम आदि अग्न्याशय ग्रंथि की इंसुलिन उत्पन्न करने वाली बीटा कोशिकाओं का कार्य सुचारु कर इंसुलिन व स्राव बढ़ाते हैं।

महिलाओं में कामशी तलता

मधुमेह रोग की विषमता के कारण स्त्रियों में भी यौन उदासीनता के लक्षण विकसित होने लगते हैं। स्त्रियों में इसके पीछे सबसे प्रमुख कारण यौनांग संबंधी संक्रामक रोग होते हैं। इन रोगों की वजह से स्त्रियों के लिए यौन क्रिया आनंदमय न रहकर कष्टप्रद बन जाती है। स्त्रियों में यौन उदासीनता के अन्य मुख्य कारण हैं- अनियंत्रित मधुमेह से उपजी स्नायुतंत्रिकाओं व रक्त धमनियों की विषमताएं, शारीरिक कमजोरी, थकावट, आलस्य, मानसिक कुंठा इ.।

जिन महिलाओं को मधुमेह होता है, उन्हें जननांगों पर खुजली होना, योनि सूखी होना, इन्फेक्शन आदि कारणों से उनकी कामेच्छा घटने लगती है। इस दशा में योनि कैन्डिड (फफूंदी) का संक्रमण (Candidiasis) आम बात बन जाती है। इस वजह से योनि से एक पीले रंग का झागदार स्राव बहने लगता है, जिससे योनि में असहनीय खुजली व जलन शुरू हो जाती है। आगे चलकर महिलाओं में सहवास के प्रति उदासीनता आने लगती है। नियमित व्यायाम और शारीरिक स्वच्छता विशेषकर स्त्रियों में जननेद्रियों की साफ-सफाई यौन विकारों से बचने में सहायक सिद्ध होते हैं। व्यायाम के द्वारा जननेन्द्रिय से संबंधित मांसपेशियां और स्नायुतंत्रिकाएं सशक्त बनती हैं।

डायबिटीज का यौन जीवन पर निश्चित रूप से दूरगामी प्रभाव पड़ता है। इसे जड़ से मिटाया तो नहीं जा सकता, किंतु उचित डॉक्टर के मार्गदर्शन में इस पर नियंत्रण जरूर किया जा सकता है। साथ ही डायबिटीज के उपद्रवों से बचाव भी होता है। आयुर्वेद में कई प्रभावशाली जड़ी-बूटियां हैं, जो रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) तथा मूत्र शर्करा के स्तर को कम करने में पूरी तरह सक्षम हैं। यौन संबंधी विषमताओं को रोकने में विटामिन-ई और विटामिन-ए, बी-समूह, विटामिन-सी आदि भी सहायक सिद्ध होते हैं। अतः रोगी को अपने आहार में विटामिनयुक्त हरी साग-सब्जियां, फलों आदि का पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिए।

सेक्स संबंधी सावधानियां

1) मधुमेह के रोगी अपने जननांगों की पर्याप्त सफाई रखें।
2) शारीरिक संबंध बनाने से पहले खासकर महिलाएं मूत्र त्याग जरूर करें।
3) सेक्स के दौरान एक-दूसरे को भरपूर सहयोग करें और प्रोत्साहन दें।
4) रक्तचाप को नियंत्रण में रखें।
5) शराब एवं तंबाकू का सेवन न करें।
6) अगर महिला मधुमेह रोगी को सेक्स के दौरान योनि में सूखापन की समस्या आ रही हो, तो वह चिकित्सक से परामर्श कर विशेष क्रीम का प्रयोग कर सकती है।
7) विशेष परिस्थितियों में लिंग का कलर डापलर अल्ट्रासाउंड कराएं।

डायबिटीज से ग्रस्त रुग्णों के लिए हमारे जीकुमार आरोग्यधाम के विशेष चिकित्सा पैकेज से अनेक रुग्णों को प्रभावी रूप से लाभ मिल रहा है। कइयों की शुगर नार्मल हुई है, इंसुलिन की मात्रा में कमी, डायबिटीज से प्रभावित अंग स्वस्थ व तंदुरुस्त हुए हैं। मधुमेह के कारण उत्पन्न हुई नपुंसकता में इस विशेष चिकित्सा पैकेज के साथ आयुर्वेद ग्रंथों में वर्णित वाजीकरण औषधियों के भी अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।

औषधियों में डायबिटीज के लिए चंद्रप्रभा वटी 1-1 सुबह-शाम खाने से पहले लें। नपुंसकता के लिए वसंत कुसुमाकर रस 1 वटी सुबह व शिलाजीत वटी 1 रात में दूध के साथ सेवन करने से सेक्स पावर में बढ़ोतरी होती है। उक्त औषधियां चिकित्सक के मार्गदर्शन में लेने से निश्चित रूप से रक्त शर्करा को नियंत्रित कर नपुंसकता दूर की जा सकती है।

डॉ. जी.एम. ममतानी
एम.डी. (आयुर्वेद पंचकर्म विशेषज्ञ)

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