वृद्धावस्था में स्वास्थ्य सुरक्षा

वृद्धावस्था मानव जीवन का वह पड़ाव है, जहां व्यक्ति एकान्त में शान्तिपूर्ण जीवन बिता सकता है, उसकी शारीरिक शक्ति भले ही कम हो जाये, किन्तु अगर उसकी मानसिक शक्ति अर्थात इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो वह सभी कार्य कुशलता से कर सकता है। आयु बढ़ना एक स्वाभाविक प्राकृतिक प्रक्रिया है, इसलिये इससे बुढ़ापे की हीन भावना नहीं आनी चाहिए किमैं…

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उच्च रक्तचाप आधुनिक जीवनशैली का रोग

हाइपरटेन्शन (उच्च रक्तचाप) पूर्व काल में 40-50 वर्ष के बाद ही होता था, किंतु आज नवयुवकों को भी इसकी शिकायत रहती है। आज के यांत्रिक युग में मनुष्य दिन-रात काम में व्यस्त रहता है, जिससे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य की तरफ उसका ध्यान नहीं रहता। व्यायाम का अभाव, मोटापा, अति महत्वाकांक्षा, होटलों में मिर्च-मसालेदार व अधिक तैलीय पदार्थो का…

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क्या विवाह पूर्व रक्त जाँच आवश्यक है ?

विवाह निश्चित करते समय हम पहले वर वधु की कुंडली मिलाते हैं पर यह उतना आवश्यक नहीं जितना कि परीक्षण । मनुष्य का स्वास्थ्य उत्तम है तो वह आगे का जीवन उत्तम रीति से जी सकता है। पर बीमारी के कारण जीवन की गति थम जाती है। अतः अनुवांशिक रोग पीढ़ी दर पीढ़ी फैलने पर रोग लगाएं और यह…

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फंगल इन्फेक्शन

फन्गस एक प्रकार का प्लान्ट जैसा आरगेनिज़म है जिसमें क्लोरोफिल नहीं रहता। वह अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकता। अतः वह त्वचा व सॉफ्ट टिशू के पोषक तत्वों पर ही निर्भर रहता है, अतः वे पैरासाइट होते हैं। त्वचा में फंगल इंफेक्शन (Skin Fungal Infection) कई तरह के फफूंदे (Fungi) की वजह से होता है, जिनमें डर्मेटोफाइट्स, कैन्डिडा और…

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सफेद दाग से विचलित न हो

सफेद दाग एक विचलित कर देनेवाला विकार है, पर हर एक सफेद दाग एक सा नहीं होता । सफेद दाग से ग्रसित व्यक्ति हीन भावना का शिकार हो जाता है क्योंकि समाज के लोग उसे कुष्ठ रोग समझकर उसकी उपेक्षा करने लगते है। जबकि कुष्ठ रोग से इसका कोई सम्बन्ध नही है। कुष्ठ रोग में त्वचा से लेकर धातुओं…

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मधुमेह में नपुंसकता

मधुमेह में नपुंसकता

मधुमेह (डायबिटीज) से ग्रस्त रुग्ण में सेक्स निश्चित रूप से प्रभावित होता है। यदि मधुमेह के रुग्ण में रक्त शर्करा नियंत्रण में नहीं हो रही है, तो इसका दुष्प्रभाव अन्य अंगों के साथ जननांगों पर भी पड़ता है। अतः मधुमेह पीड़ित रुग्णों में यह दुष्प्रभाव दिखने पर सबसे पहले रक्त शर्करा की मात्रा को सामान्य करने पर विशेष ध्यान…

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Fatty Liver

यदि कोई रोगी दर्द से परेशान व विचलित हैं तो वह तुरंत चिकित्सा हेतु डॉक्टर के पास जाता है। लेकिन फैटी लिवर ऐसा रोग है जिसके शुरूवात में कोई लक्षण नहीं होते, दिखने में रोगी पूर्णतः स्वस्थ लगता है। खान-पान, रहन-सहन सब कुछ नार्मल होता है। इतना ही नहीं इस रोग का निदान होने पर भी लोग इसे हल्के…

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Irretibale Bowel Syndrome (ग्रहणी रोग)

Irretibale Bowel Syndrome

आयुर्वेद में 13 प्रकार के अधारणीय वेगों का वर्णन है शास्त्रानुसार मल के वेग को नियमित रुप से त्याग करना निरोगी शरीर के लिए हितकारी है क्यों कि नियमित मल त्याग होने से मन शांत रहता है। दिन भर सक्रियता, स्फूर्ति, रहती है, कार्य में मन लगता है, एकाग्रता रहती है। पेट में गड़बड़ी, मरोड़, कब्ज, गैस बनना, अपच…

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मोटापे से परेशानी

शरीर में अतिरिक्त चर्बी बढ़ने का प्रमुख कारण रक्त्त में कोलेस्ट्रोल की मात्र में वृद्धि हो जाना है। मोटापे के कारण हमें सामान्य कार्य करने में तो परेशानी होती ही है, कई बीमारियों की भी आशंका बनी रहती है। खान पान में मनमानी और अनियमितता से भी शरीर स्थूल हो जाता है। इसलिए जरूरी हो जाता है कि हम…

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महिलाओं की आम समस्या थायराइड विकार (Thyroid disorder in female)

थाइराइड ग्रंथि के हार्मोन के असंतुलित स्राव से शरीर की समस्त भीतरी कार्यप्रणालियां अव्यवस्थित हो जाती हैं। इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है, जो कि वंशानुगत भी हो सकती है। थाइराइड ग्रंथि के ठीक से काम न करने पर यह कई रोगों का कारण बन जाती है। भारत में 4 करोड़ से अधिक थाइराइड के मरीज हैं, इनमें…

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