Acne or Pimples affeting Teenager

अपने सौंदर्य के प्रति विशेष रुप से सजग रहने वाले किशोरवयीन लड़के- लड़कियों को एक्ने-मुंहासों की समस्या परेशान कर देती है। इनसे चेहरे का आकर्षण कम होने की वजह से कभी- कभी तो वे हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं, जिसका प्रतिकूल परिणाम उनके करियर आदि पर भी पड़ सकता है। अतः उचित समय पर इस रोग की जानकारी एवं उपचार अत्यंत आवश्यक है।

यदि चेहरे पर मुंहासों जैसे ढेर सारे दाने पास-पास और गुच्छे की शक्ल में हो और बहुत दिनों तक बने रहें तो सावधान हो जाइए. यह एक्ने हो सकता है। अगर आपके परिवार में एक्ने की हिस्ट्री रही है यानी आपके मां या पिता को भी यह समस्या रही है तो भी आपको इनसे बचाव की कोशिश शुरु कर देनी चाहिए। एक्ने त्वचा का रोग है जिससे आज का अधिकांश किशोर वर्ग परेशान है। यह मुंहासों का ही बिगड़ा हुआ रूप है। फर्क यह है कि आमतौर पर मुंहासे जहां बिना किसी विशेष उपचार के किशोरावस्था के बाद स्वयं ही ठीक हो जाते हैं, वहीं एक्ने के साथ ऐसा नहीं होता।

क्यों होता है एक्ने :- त्वचा के नीचे स्थित सेबेशियस ग्लैंड्स (Sebaceous Gland) से त्वचा को नमी देने के लिए तेल निकलता है। ये ग्लैंडस चेहरे, पीठ, छाती और कंधों पर सबसे ज्यादा होते हैं। अगर ये ज्यादा सक्रिय हो जाएं तो रोमछिद्र चिपचिप होकर ब्लैक हो जाते हैं और उनमें जीवाणु पनपने लगते हैं जो एक्ने का कारण बनते हैं । सामान्य स्थिति में सूर्य की किरणें इनको पनपने नहीं देती हैं। सेबेशियस ग्लैंड्स की अति सक्रियता की प्रमुख वजह एंड्रोजन हार्मोन की अधिकता है। एंड्रोजन पुरुष सेक्स हार्मोन है और यह लड़के और लड़कियों दोनों में ही होता है। किशोरावस्था में इसका स्राव ज्यादा होता है।

कई लड़कियों को माहवारी से पहले हर बार मुंहासे निकल आते हैं जो बिगड़कर एक्ने का रुप ले सकते हैं। ऐसा ओव्यूलेशन के बाद प्रोजेस्ट्रान हार्मोन के ज्यादा स्राव की वजह से होता है। इससे त्वचा पर छोटे-छोटे दानों के गुच्छे से बन जाते हैं। इसी तरह सिवेशियस ग्रंथियों से उत्पन्न सीबम त्वचा के पिगमेंट (रंग निर्धारक तत्व) से मिलकर रोमछिद्रों को ब्लॉक कर देता है तो ब्लैकहेड्स बनते हैं। अगर त्वचा की अंदरूनी परत में सीबम जमा हो जाता है तो व्हाइटहेड्स बनते हैं। कई बार ब्लैकहैड्स और व्हाइटहेड्स त्वचा के भीतर फैलने के बाद फूट जाते हैं। जिससे बाहरी त्वचा पर एक्ने और फैल सकता है।

अन्य कारण :- शरीर में जरुरत से ज्यादा विषैले तत्व भी एक्ने का कारण हो सकते हैं क्योंकि त्वचा को पसीने के भी जरिए शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालना होता है। ऐसे में अगर विषैले तत्व बहुत ज्यादा हो जाएं तो इस पूरी प्रक्रिया में त्वचा के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा एलर्जी, तनाव, जंकफूड, सेचुरेटड फैट, हाइड्रोजेनेटेड फैट और पशु उत्पादों के प्रयोग, कुपोषण और प्रदूषण से भी एक्ने की संभावना बढ़ जाती है। कुछ दवाओं जैसे स्टीरॉयड, गर्भनिरोधक गोलियों (Oral Contraceptive Pills) और मिर्गी की दवाओं आदि के रिएक्शन से भी एक्ने हो सकता है।

कैसे करें बचाव :- कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो एक्ने को रोका जा सकता है। कम से कम उसका ज्यादा बढना तो कम किया ही जा सकता है। बेहतर होगा कि आप मुंहासे निकलते ही एक्ने की रोकथाम के उपाय शुरू कर दें।

खान पान
भोजन में ऐसी चीजें लें जिनमें फैट और मसालों की मात्रा बहुत कम हो। अधिक चिकनाई, तेज मीठा, स्टार्चयुक्त और मसालेदार भोजन से एक्ने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए ऐसे भोजन से बचें।

  • रेशेदार पदार्थ अधिक मात्रा में लें। इससे पेट साफ रहता है और शरीर के विषैले पदार्थ भी अच्छी तरह बाहर निकल जाते हैं।
  • ऐसी चीजें अपने भोजन में शामिल करें, जिनमें जिंक काफी मात्रा में हो। जैसे सोयाबीन, साबुत अनाज, सूरजमुखी के बीज और सूखे मेवे । जिंक एंटी-बैक्टीरियल होता है।
  • खट्टी चीजें जैसे दही पर्याप्त मात्रा में खाए। प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों और आयोडीनयुक्त नमक का प्रयोग कम से कम करें। आयोडीन से एक्ने बढ़ता है। मछली और प्याज में भी आयोडीन पाया जाता है, इसलिए इनसे भी दूर रहें।
  • शराब, मक्खन, कॉफी, चॉकलेट, क्रीम, कोको, अंडे, मांस, पॉल्ट्री उत्पाद का इस्तेताल बिल्कुल न करें।
  • सप्ताह में एक दिन उपवास करें
  • रोज कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पिए ताकि विषाक्त पदार्थ शरीर से अच्छी तरह बाहर निकल सके। नियमित व्यायाम करें और ताजी हवा में देर तक रहे।
  • दूध से बनी चीजों को कम से कम एक महिने तक अपनी डाइट से हटा दें। कभी-कभी इनसे एलर्जी के कारण भी एक्ने हो सकता है। साथ ही इनमें शामिल बसा से एक्ने बढ जाता है। एक महिने बाद एक-एक कर दूध से बनी चीज लेना एक वक्त शुरू करें और यह जांचें कि एक्ने दोबारा तो नहीं हो रहा।

त्वचा की देखभाल
जितना संभव हो, त्यचा को तैलीय होने से बचाएं। बालों को रोजाना शैम्पू करें। एक्ने के लिए खासतौर पर नियमित ऐसा हर्बल साबुन इस्तेमाल करें जिसमें सल्फर हो त्वचा को अच्छी तरह धोएं लेकिन राडे नहीं। ज्यादा रगड़ने से एक्ने और फैलता है।

  • बालों में डैंड्रफ न होने दें। डैंड्रफ झड़कर जब त्वचा पर गिरता है तो वह भी एक्ने का कारण बनता है।
  • अधिक मेकअप से बचें।

उपचार
आमतौर पर एक्ने 12-13 साल की उम्र में शुरु होता है। एकाध दाना हो तो घबराने की कोई बात नहीं है। लेकिन अगर दाने 20 से ज्यादा और काफी बड़े हों तो त्वचा विशेषज्ञ से संपर्क जरुर करें।

आयुर्वेदीय मत
आयुर्वेदानुसार इसे तारुण्यपीटिका भी कहते हैं। मुंहासे की योग्य चिकित्सा नहीं करने से चेहरे पर हमेशा के लिए काले धब्बे व गड्ढे पड़ जाते हैं।

त्वचा के नीचे तेल बनाने वाली सिबेशियस ग्रंथियों के छिद्र उसकी ऊपरी सतह पर खुलते हैं। किसी कारण से ये छिद्र बंद हो जाएं तो छोटी-छोटी फुंसिया हो जाती हैं जिन्हें मुंहासे कहते हैं। अंग्रेजी में इन्हें एक्ने या पिंपल तथा आयुर्वेद में मुखदूषिका कहा जाता है अर्थात् मुख को दूषित करने वाली शाल्मली के कंटक जैसी रचना ही मुखदूषिका है।

आयुर्वेदानुसार अति उष्ण, तीक्ष्ण, अम्ल, कटु रस वाले आहार चाट पकौड़ी, समोसा, पानीपूरी, नूडल्स आदि का अधिक सेवन व क्रोधादि की अधिकता व अव्यवस्थित जीवनशैली ही इसका कारण हैं। मुंहासे पित्त व कफ दोषप्रधान व्याधि है। दूषित कफ, पित्त, रक्त व मे धातु को दूषित कर, त्वचा पर मुंहासों के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं। मुख्यतः कब्ज से पीडित व्यक्ति इस रोग का शिकार होते हैं। अतः पाचन संस्थान की विकृति भी मुंहासों को जन्म देती है। किसी-किसी तरुणी को मासिक धर्म के साथ मुंहासे का कष्ट होता है तो कभी अति रक्तस्राव व मासिक साव अत्यल्प होने की वजह से भी मुंहासे होते हैं।

मुंहासे मुख्यत : चेहरे पर नाक के पास, गाल, नाक, ठुड्डी व माथे पर होते हैं। कभी-कभी ये छाती तथा पीठ पर निकल आते हैं। इसमें किसी युवक को अत्यंत पीड़ा, खुजली या जलन होती है। किसी-किसी के मुंहासों में पस भरा रहता है। इसे हाथ से छेड़ने पर वहां एक गड्ढा-सा बन जाता है, जो देखने में अच्छा नहीं लगता। चेहरे से पसीना अधिक निकलता है। इसके कारण रुग्ण काफी परेशान व हीन भावना से ग्रस्त रहता है। तीज-त्यौहार पर बाहर जाने च लोगों से मिलने-जुलने में उसे झिझक होती है।

आयुर्वेद में उपचार संभव
दरअसल मुंहासे होनाकोई गंभीर समस्या नहीं है। आयुर्वेदिक औषधि से रोग की जड़ भी समाप्त होकर स्थायी लाभ मिलता है। साथ ही इसके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में मूल कारणों की चिकित्सा की जाती है। आहार-विहार में परहेज, आयुर्वेदिक औषधि व पंचकर्म करने से यह व्याधि कुछ समय बाद ठीक हो जाती है। मुंहासों की चिकित्सा करणानुरूप होनी चाहिए तथा इसके लिए आहार पर नियंत्रण आवश्यक है। भोजन में सादा, सात्विक व प्राकृतिक आहार लेना श्रेयस्कर है। मसालेदार पदार्थ व चाय, काफी खटाई का पूर्णतः त्याग करना चाहिए। दिन में अधिकाधिक पानी पिए व नित्य फलों का रस सेवन करें। साथ ही चेहरे को हमेशा स्वच्छ रखें।

आयुर्वेदिक औषधि
गंधक रसायन 10 ग्राम, आरोग्यवर्धिनी 10 ग्राम, कामदुधा रस 5 ग्राम, कैशोर गुग्गुल 10 ग्राम की 60 पुड़ियां बनाकर सुबह- शाम महामंजिष्ठादि काढा 2 चम्मच के साथ 6 माह तक लें। मुंहासों के साथ कब्ज होने पर अभयारिष्ट 2 चम्मच सुबह-शाम भोजनोत्तर व त्रिफला चूर्ण 1 चम्मच रात को सोते समय लेना चाहिए। लेप के लिए सारिवा, चंदन, संतरे की छाल, नागरमोथा समभाग चूर्ण लेकर घृतकुमारी के गूदे के साथ मिलाकर लगाएं। इससे पहले नींबू के छिलके से चेहरे साफ करें। उक्त चिकित्सा लगातार 6 माह तक लेने से मुहासे व उनके दाग दूर होकर त्वचा आकर्षक व सौंदर्ययुक्त बन जाती हैं।

मुंहासे में औषधि चिकित्सा के अलावा वमन, विरेचन प्रक्रिया के परिणाम श्रेष्ठ पाए गए हैं। वमन, विरेचन कर्म से कफ व पित्त दोष साम्यावस्था में आकर हार्मोन संतुलित होकर मुंहासों से मुक्ति मिलती है तथा त्वचा में निखार व सौंदर्य में वृद्धि होती है। इस प्रकार आहार नियंत्रण, नियमित योगासन-प्राणायाम का अभ्यास, आयुर्वेदिक औषधि, पंचकर्म क्रिया करने पर मुंहासों से छुटकारा पाया जा सकता है।

घरेलू नुस्खे

  • नीम के बीजों को छाछ में पीसकर सुबह-
  • शाम मुंहासों पर लेप करें।
  • नींबू के पेड़ की अंतः छाल घिसकर चंदन की तरह मुहासे
  • पर लगाने से अवश्य आराम होता है।
  • त्रिफला चूर्ण में बेसन व हल्दी मिलाकर मुंहासों पर लगाए।
  • तुलसी की पिसी हुई मंजरी को दूध में घोलकर मुंहासों पर लगाएं। दाग-धब्बे भी गायब हो जाएंगे ।
  • प्याज के बीज शहद में पीसकर मुंहासों पर लगाएं।
  • पुदीना, नीम व मेथी की पत्तियों को पीसकर मुंहासों पर लेप करें।
  • नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर दिन में 3-4 बार इस पानी से चेहरा धोएं। मुंहासे तो दूर होंगे . त्वचा का रंग भी साफ होगा।
  • त्रिफला के काढ़े से चेहरे पर भाप लेनी चाहिए। • प्रतिदिन रोज सुबह गरम पानी में शहद व नींबू मिलाकर पिएं। कब्ज दूर होकर मुंहासों में राहत मिलेगी।
  • चंदन लेप नियमित रुप से लगानेसे मुंहासे दूर होते हैं।
  • मुलतानी मिट्टी. कपूर को घिसकर मुंहासों पर लगाएं। .
  • तिल तेल में नींबू का रस मिलाकर लेप करें।
  • अंगूर, नाशपाती, बेल, टमाटर, गाजर, पालक आदि का सेवन अधिक मात्रा में करें।
  • दही में चोकर मिलाकर चेहरे पर लगाएं। सूखने पर शीतल जल से धो लें।
  • गाजर का रस नियमित रूप से पिएं l

डॉ. जी.एम. ममतानी
एम.डी. (आयुर्वेद पंचकर्म विशेषज्ञ)

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