Keto Diet in Obesity

स्वस्थ जीवन के लिए संतुलित आहार और व्यायाम महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आजकल जिम जाने का प्रचलन तो बढ़ ही रहा है, साथ ही मोटापा कम करने के लिए किटोजेनिक या किटो डायट व लो कार्बोहाइड्रेट डायट (LCD) को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है।
किटो डाइट कम कार्बोहाइड्रेट आहार के लिए जाना जाता है। किटो डाइट से लीवर में किटोन्स (Ketones) बनने लगते हैं, जिन्हें शरीर ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करने लगता है। इस डाइट को किटो डाइट के अलावा “लो कार्ब और हाई फैट डाइट” के नाम से भी जाना जाता है। अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम लेना शरीर में “किटोसिस की स्थिति पैदा कर देता है। किटोजेनिक आहार मूल रूप से ऐसा आहार है, जिसमें बिल्कुल न्यूनतम कार्य होता है लगभग 20-30 ग्राम | अधिकतम । यह शरीर को प्राथमिक स्रोत के रूप में वसा का उपयोग करने के लिए मजबूर करेगा, जिससे फैट घटा सके। किटो में आप मूल रूप से फैट को जलाने के लिए फैट खाते हैं। ऐसी स्थिति में आपका शरीर ग्लूकोज के बजाय ईंधन के स्रोत के रूप में किटोन्स और फैटी एसिड का उपयोग करता है । किटोसिस एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो भोजन की मात्रा कम होने पर हमें जीवित रहने में मदद करता है। इस स्थिति में हमारा शरीर किटोन्स का उत्पादन करता है, जो लीवर में फैट के बर्न होने से | बनते हैं। किटो डाइट का उद्देश्य शरीर को इस किटोसिस प्रक्रिया में लाना है। गौर करिये इसमें शरीर को खाने से वंचित नहीं करना है, सिर्फ कार्बोहाइड्रेट्स कम से कम सेवन करने हैं।

किटोसिस डायट में “किटो” शब्द इसलिए आता है क्योंकि यह डायट शरीर में छोटे ऊर्जा देने वाले अणुओं ‘किटोन्स के उत्पादन में सहायक होते हैं। यह वैकल्पिक ईंधन तब इस्तेमाल होता है जब शरीर में ब्लड शुगर की आपूर्ति कम हो जाए। अगर आप बहुत कम कार्ब्स (जो बहुत जल्दी ब्लड शुगर में तब्दील हो जाते हैं) और प्रोटीन की बहुत संतुलित मात्रा (ज्यादा प्रोटीन भी ब्लड शुगर में तब्दील हो सकता है) लेते हैं तो किटोन्स का उत्पादन होता है। किटोन्स का उत्पादन लिवर में वसा [fat] से होता है। उसके बाद उनका इस्तेमाल दिमाग सहित पूरे शरीर में ऊर्जा के स्रोत के तौर पर होता है। हमारा दिमाग दिनभर में बहुत ज्यादा ऊर्जा का इस्तेमाल करता है और सीधे वसा के दम पर नहीं केवल ग्लुकोज या किटोन्स से ही चल सकता है। किटोजेनिक डायट से आपका पूरा शरीर ईंधन आपूर्ति की प्रक्रिया को बदल जाने से वसा पर ही निर्भर हो जाता है। इंसुलिन का स्तर काफी कम हो जाता है और वसा तेजी से इस्तेमाल होता है। वजन कम करना चाहते हैं तो यह मददगार है। इसके कुछ अन्य अप्रत्यक्ष फायदे भी हैं जैसे भूख कम लगना और ऊर्जा की स्थिर आपूर्ति इत्यादि ।

किटोजेनिक डायट में वसा की मात्रा ज्यादा, प्रोटीन नियंत्रित और कार्बोहाइड्रेट बहुत ही कम होता है अर्थात कार्ब के 5 भाग 35 भाग प्रोटीन और 60 भाग फैट के ज्ञात हो कि प्रोटीन में 4, कार्ब में 4 और फैट में 9 कलोरी प्रति ग्राम होता है। कार्ब्स कम और वसा ज्यादा होने से शरीर ऐसी मेटाबोलिक अवस्था में पहुंच जाता है जिसे किटोसिस कहते हैं। उसके बाद शरीर वसा को किटोन्स में बदलना शुरू कर देता है। किटोन्स दिमाग को ऊर्जा की आपूर्ति कर सकते हैं। कुछ दिन या सप्ताह के बाद शरीर और दिमाग कार्बोहाइड्रेट की बजाय वसा और किटोन्स के इस्तेमाल में कुशल हो जाते हैं। इसमें प्रमुखतया मांस, मछली, मक्खन, अंडे, चीज, क्रीम, तेल, अखरोट, एवोकैडो, सीड्स और कम कार्बोहाइड्रेट वाली सब्जियां शामिल होती हैं। अनाज, चावल, बीन्स, आलू, मिठाई, दूध, दाले, फल और यहां तक कि ज्यादा कार्क्स वाली सब्जियों समेतकार्बोहाइड्रेट के सारे स्रोत हटा दिए जाते हैं।

मेटाबोलिक सिंड्रोम मोटापे, टाइप 2 मधुमेह और हृदयरोग के लिए पांच में से 3 प्रमुख खतरों को दर्शाता है-हाय ब्लडप्रेशर, पेट के इर्द-गिर्द मोटापा, फास्टिंग ट्रायग्लिसराइड (Fasting Triglyceride ) का ज्यादा स्तर, एचडीएल (गुड) कोलेस्ट्राल का कम स्तर ब्लड शुगर का ज्यादा स्तर इनमें से कई बीमारियों के खतरे को किटोजेनिक डायट से नियंत्रित या पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता है।

प्रतिदिन 20-30 ग्राम या उससे कम कार्ब्स लें। मुख्यतया मांस, मछली, अंडे, तेल क्रीम को खानपान में शामिल करें। ज्यादा से ज्यादा ऐसी सब्जियां खाएं जो कार्ब्स में कम हो। किटोजेनिक पास्ता, ब्रेड, मफिन्स, ब्राउनीज, पुडिंग्स, आइसक्रीम को बनाकर खाएं। आहार की योजना बनाएं। पसंदीदा किटो डायट पहचानें। हर तीन-चार सप्ताह में वजन जांचे फिर उसके हिसाब से डायट में बदलाव करें। किटोसिस से आपके शरीर का मिनरल और फ्ल्यूड संतुलन बदल जाता है इसलिए खानपान में कुछ ज्यादा नमक या फिर इलेक्ट्रॉलाइट या मैग्नेशियम लें। किटोडायट को 3-4 सप्ताह सेवन करके लाभ उठाएं।

इस काल में हमेशा की अपेक्षा पानी का सेवन अधिक करें क्योंकि मांसपेशियों से ग्लाइकोजन व पानी का क्षय होता है अतः मांसपेशियों में तरावट लाने के लिए पानी अधिक पीयें।

नो कार्बोहाइड्रेट- नो शुगर
(No Carbohydrate No Sugar)

जब आपने एक बार किटोजेनिक (Ketogenic ) आहार को चुन लिया, तब आपको हर वक्त इसके मंत्र को याद रखना है। कोई कार्बोहाइड्रेट नहीं और न ही चीनी”।

किटो डाइट का मुख्य नियम हाई फैट, मध्यम प्रोटीन और कम से कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट का सेवन है। किटो डाइट द्वारा आपकी रोजाना जरूरत की 70 से 75 प्रतिशत कैलोरी फैट से लेनी चाहिए। 20 से 25 प्रतिशत कैलोरी प्रोटीन से और मात्र 5 से 10 प्रतिशत कलोरी ही कार्बोहाइड्रेट से लेनी चाहिए।

हाई फैट और सीमित (मध्यम) प्रोटीन क्यों ? :- क्योंकि फैट बहुत कम या नहीं के बराबर ही हमारे इन्सुलिन लेवल और ब्लड शुगर को प्रभावित करता है। लेकिन यदि बड़ी मात्रा में प्रोटीन का सेवन किया जाये तो वो इन्सुलिन और ब्लड शुगर को अस्थायी रूप से बढ़ा सकता है और बढ़ा हुआ इन्सुलिन लेवल आपके द्वारा फैट बर्न को बंद कर देगा जिससे आपकी बॉडी किटोसिस (Ketosis) की स्थिति से बाहर आ जाएगी।

किटो डाइट का टेस्टोस्टेरोन हार्मोन्स और हाई फैट डाइट के बीच गहरा संबंध है। यदि आप हाई फैट वाली डाइट लेते है तो आप का टेस्टोस्टेरोन हार्मोन्स लेवल उच्च स्तर पर रहेगा और आप आसानी से फैट कम करने के साथ-साथ मसल गेन (Muscles Gain) कर सकेंगे।

किटो डाइट केवल विशेषज्ञ की देखरेख में 3-4 सप्ताह से कुछ माह तक कर सकते हैं। इसी तरह यह डायट शुरू करने से पहले भी डायट में कुछ बदलाव करने पड़ते हैं। इस डाइट से काफी हद तक वजन कम किया जा सकता है।

  1. वजन घटाने में :- किटो डाइट लेने से हमारा शरीर फैट को ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करने लगता है। साथ ही ये वजन कम करने में भी मदद करता है। इस डाइट के लेने से हमारे शरीर का फैट बर्न होने लगता है, जिससे शरीर में इंसुलिन का स्तर बहुत कम हो जाता है।
  2. ब्लडशुगर कंट्रोल :- किटो डाइट में आप जिस तरह के फूड्स खाते हैं, उससे रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाता है। अध्ययनों के मुताबिक कम कैलोरी वाले डाइट की तुलना में डायबिटीज से बचाने में किटोजेनिक डाइट अधिक प्रभावी है।
    यदि आप डायबिटीज के प्राथमिक चरण में हैं या टाइप-2 डायबिटीज से ग्रसित हैं, तो आपको गंभीरता से केटोजेनिक आहार को अपनाना चाहिए। ऐसे कितने ही मधुमेह ग्रस्त रोगी हैं, जिन लोगों ने किटो डाइट के माध्यम से रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित किया है।
  3. मानसिक एकाग्रता बढ़ाने में :- कई लोग मानसिक प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए किटो डाइट अपनाते हैं। किटो डाइट मस्तिष्क के ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत है। जब आप कार्बोहाइड्रेट कम मात्रा में लेते हैं, तो बढ़े हुए शुगर के दुष्प्रभाव से बच जाते हैं। ये दोनों मिल कर आपके दिमाग की फोकस और एकाग्रता को बढ़ाते हैं। अध्ययन बताते हैं कि फैटी एसिड अधिक मात्रा में लेने से हमारा मस्तिष्क अधिक सक्रिय हो जाता है।
  4. ऊर्जा का स्तर बढ़ाने और भूख को नियंत्रित करने में :- किटो डाइट से हमारे शरीर को ऊर्जा का एक बेहतर स्रोत मिलता है, जिससे आप दिन में अधिक ऊर्जावान महसूस करते है। साथ ही ऊर्जा के रूप में फैट का अधिक से अधिक इस्तेमाल होता है।
  5. मिर्गी के इलाज में :- सन् 1900 से मिर्गी के इलाज में केटोजेनिक डाइट का सफलता पूर्वक इस्तेमाल किया जा रहा है और आज भी मिर्गी से बहुत अधिक पीड़ित बच्चों को इसके उपचार के लिए इस डाइट को दिया जाता है। इसका सबसे बड़ा लाभ ये है कि इसमें बहुत कम खर्च होता है और मिर्गी को नियंत्रण करने में बहुत असरदार है।
  6. कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने में :- किटो डाइट में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम और हाई फैट डाइट की मात्रा ज्यादा होती है जिससे खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) के स्तर को कम करने में और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) के स्तर को बढ़ाने में अधिक मदद करता है।
  7. इंसुलिन को रोकने में :- इंसुलिन प्रतिरोध की वजह से :- टाइप-2 डायबिटीज हो सकता है, यदि इसको सही तरीके से नियंत्रित न किया जाये तो ऐसे कई शोध हैं. जो बताते हैं कि कम कार्बोहाइड्रेट और किटोजेनिक डाइट इंसुलिन के स्तर को कम करने में और इसके स्तर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।
  8. मुंहासों से छुटकारा दिलाने में :- किटो डाइट लेने से आपकी त्वचा में अपने आप सुधार होने लगता है।

किटो डायट में उपयोगी शाकाहारी भोजन
→ पनीर (प्रति 100 ग्राम-फैट 20 ग्राम, प्रोटीन 20 ग्राम, कार्ब 1.5 ग्राम)
→ अमूल चीज (1 टुकड़ा-फैट 5 ग्राम, प्रोटीन 4 ग्राम, कार्य नगण्य)
→ नारियल तेल (प्रति 100 ग्राम फैट 86 ग्राम)
→ फ्लेक्स सीड (अलसी का बीज) (प्रति 100 ग्राम-42 ग्राम फैट, प्रोटीन 18 ग्राम, कार्य 29 ग्राम)
→ पालक या फाइबर के लिए किसी भी अन्य कोई गहरी हरी सब्जियां

आप प्रोटीन के ज्यादा सेवन से किटोसिस से बाहर हो सकते हैं। एक बार किटोसिस प्राप्त हो जाने पर प्रोटीन सेवन आहार के लगभग 15-20% तक और कम किया जा सकता है।

वजन घटाने के लिए 4 सप्ताह का भारतीय किटो डाइट प्लान

वजन कम करने के लिए चार हफ्ते का भारतीय किटो डाइट प्लान क्रमश: 1 सप्ताह से लेकर 4 सप्ताह तक निम्नलिखित है। नीचे दिए गए खाद्य पदार्थ में से आप कोई एक चुनकर अलग-अलग फूड्स खा सकते हैं।

पहला सप्ताह
नाश्ता

  • पनीर पकौड़ा (मूंगफली तेल या नारियल के तेल में तला हुआ)
  • चीज़ी (Cheesy) एग ऑमलेट (चीज व जैतून के तेल में पकाया हुआ)
    चीजी, अंडे की भुर्जी और अधिक मात्रा में शिमला मिर्च (जैतून के तेल व मक्खन में पकाया हुआ)

दोपहर का भोजन

  • सामान्य सलाद (पालक, शिमला मिर्च, मशरूम, जैतून के तेल और मक्खन में तला हुआ, कभी-कभी चिकन के साथ, कभी-कभी अंडे के साथ और कभी-कभी केवल सब्जी और पनीर की अधिक मात्रा के साथ) ले सकते हैं।
  • पालक सूप का क्रीम साथ में तला हुआ मशरूम या ब्रोकली।
  • सोलकढी और बेक्ड फ्रेंच बीन्स, पनीर के साथ

रात का भोजन

  • पनीर और क्रीम के साथ बेक्ड (Baked) पालक
  • लेमन चिकन मुरब्बा
  • तला हुआ पनीर पकौड़ा
  • फ्राई मटन अपने पसंद के मसाले के साथ
    फूलगोभी का सलाद या गोभी नारियल के साथ (करेला की तरह बनने वाली सब्जी)

दूसरा सप्ताह
दूसरे हफ्ते में आप नारियल तेल, क्रीम और बटर का मिश्रण लेना शुरू करें ये थोड़ा मुश्किल है लेकिन अगर आपको वजन कम करना है तो इसे खाना पड़ेगा। इसे आप अपने चाय या काढ़ा में मिला कर भी ले सकते हैं। इसके अलावा अपने स्वाद अनुसार इसमें मसाले का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। चीनी से परहेज करें। इसकी जगह आप शुगर फ्री कृत्रिम मीठा का इस्तेमाल करें। ये आपको फैट कम करने में मदद करेगा। इस मिश्रण को आप बुलेट कॉफी कह सकते हैं।

नाश्ता

  • बुलेट कॉफी (कॉफी या चाय, नारियल तेल, क्रीम और बटर के साथ)

दोपहर का भोजन

  • सामान्य सलाद (पालक, शिमला मिर्च, मशरूम, जैतून के तेल और मक्खन में तला हुआ, कभी-कभी चिकन के साथ, कभी-कभी अंडे के साथ और कभी-कभी केवल सब्जी और पनीर की अधिक मात्रा के साथ) ले सकते हैं।
  • मसालेदार, तला हुआ पनीर पकौड़ा
  • लाल चना का सलाद
  • नींबू चिकन
  • सोयाबीन करी
  • मूंगफली के साथ तली हुई भिंडी (महाराष्ट्रीयन स्टाइल में बनी हुई)

रात का भोजन

  • पनीर से बने हुए पकवान और तली हुई फ्रेंच बीन्स
  • फूलगोभी, नारियल के दूध और नारियल के तेल में पकायी हुई।
  • मशरूम का क्रीम
  • उबला हुआ चिकन
  • पनीर पकौड़ा

तीसरा सप्ताह

जैसे-जैसे आप अगले हफ्ते की ओर बढ़ते हैं। किटो डाइट आपके लिए मुश्किल होता जाता है। तीसरे सप्ताह को फॉस्टिंग स्टेट या उपवास चरण कहते हैं। इसलिए आप तीसरे हफ्ते में सुबह जल्दी नाश्ता कर लेंगे और दोपहर में आपको कुछ नहीं खाना होगा और इस तरह आप 12 घंटे के उपवास के बाद रात के भोजन में अधिक वसा वाली खाद्य पदार्थ लेंगे ये उपवास अनिरंतर उपवास कहलाता है।

नाश्ता

  • बुलेट कॉफी

दोपहर का भोजन

  • दोपहर में आप थोड़ा-थोड़ा करके पानी पिएं और बिना चीनी के ग्रीन टी या नींबू पानी के साथ लें।

रात का भोजन

  • पानी में भिगोया हुआ 6 से 8 बादाम रोजाना इस पूरे हफ्ते में लें।
  • पनीर और पालक के साथ पस्टो सॉस में चिकन लें (जैतून के तेल में तला हुआ)
  • चिली पनीर
  • भुना हुआ चिकन, पालक और चीज सलाद के साथ
  • पालक अंडा ऑमलेट, पनीर की अधिक मात्रा के साथ

चौथा हफ्ता

किटो डाइट का चौथा हफ्ता बहुत ही कठिन होता है। इस हफ्ते में आपको केवल रात को ही भोजन करना होता है। पूरे दिन उपवास के दौरान आप बिना चीनी के ग्रीन टी और नींबू पानी (नमक और मिर्च ) के साथ ले सकते हैं। साथ ही आप अधिक से अधिक पानी पिएं। अगर ये उपवास करना आपके लिए बहुत मुश्किल हो रहा हो तब आप दूसरे हफ्ते के डाइट पर वापस जा सकते हैं और वहां से फिर से शुरूआत कर सकते हैं।

नाश्ता

  • काली चाय / नींबू पानी / आडू चाय (बिना चीनी के)
  • ब्लैक कॉफी

दोपहर का भोजन

  • हरी चाय (चीनी के बिना)
  • नींबू पानी (चीनी के बिना)
  • अधिक से अधिक पानी पिए

रात का भोजन

  • नारियल और मूंगफली के साथ तली हुई हरी बीन्स
  • पनीर, क्रीम और दूध में पकायी हुई पालक
  • शेजवान चिकन
  • तली हुई सब्जियां
  • उबला हुआ चिकन
  • थाई चिकन
  • नीबू चिकन
  • बादाम के आटे की टिकिया
  • शिमला मिर्च, पालक और तला हुआ पनीर

इस किटो आहार को शुरू करने के 2-3 दिनों के बाद आपके शरीर के भीतर किटोसिस आमतौर पर शुरू हो जाएगा और आप शीघ्र परिणामों को देखना शुरू कर देंगे। आप यूरिन टेस्ट लेकर देख सकते हैं कि आपका शरीर सामान्य से अधिक किटोन का उत्पादन कर रहा है या नहीं। सिर्फ मूत्र विश्लेषण स्टिक से इसका परीक्षण कर सकते हैं।

अतः सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप कार्य को पूरी तरह से दूर रखें। कार्ब इस आहार के प्रभाव को पूरी तरह से उल्टा कर सकता है।

सायक्लिक किटोजनिक डायट (Cyclic Ketogenic Diet) और चिट मिल

चिट मिल आपके डायट का एक ऐसा भोजन है जहां आप अपनी पसंद का कोई भी भोजन रख सकते हैं और कुछ भी हो सकता है-आइसक्रीम से लेकर अपने पसंदीदा बिरयानी तक कुछ भी हो सकता है। लगभग 4 सप्ताह की अवधि के सख्त किटोजेनिक डायट लेने के बाद 10% से कम बॉडीफैट (Body Fat) वाले किसी भी भोजन को चिट मिल में रख सकते है। यह आपके लेप्टिन स्तर को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है जो चर्बी / फैट कम करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण हार्मोनों में से एक है। यदि आप परिणाम प्राप्त कर रहे हैं और आपका वजन कम हो रहा है, तो चिट मिल की कोई जरूरत नहीं है और आप आगे अपने कैलोरी के साथ खेल सकते हैं।

सायक्लिक किटोजेनिक डायट (CKD)
सी. के. डी. उन लोगों द्वारा फॉलो किया जाना चाहिए जिनके शरीर में वसा फैट का स्तर 8% से नीचे है। 10% तक के फैट वाले लोग भी इसका पालन कर सकते हैं लेकिन उनमें उचित मात्रा में मांसपेशियों का होना जरूरी है।

चक्रीय केटोजेनिक आहार के पीछे मुख्य सिद्धांत अपने संग्रहित ग्लाइकोजन के व्यय की पूर्ति है।

सी. के. डी. करने का सही तरीका इस तरह है :- आपको 3-4 सप्ताह की अवधि के लिए प्रेरित किटो प्राप्त करना होगा (सुनिश्चित करें कि आप में लगभग 8% बॉडीफैंट हैं) तो आप सीकेडी में जाते हैं। आप किटो पर 5-6 दिनों की अवधि (अपने लक्ष्य पर आधारित) के लिए रहते हैं, और फिर अपनी मांसपेशियों के द्रव्यमान के आधार पर कार्ब की संवेदनशीलता और कई अन्य कारक के आधार पर ग्लाइकोजन के संचय के लिए 1-2 दिन (24 – 48 घंटे की अवधि के लिए कार्ब को लोड करें।

एक सप्ताह के लिए एक विशिष्ट सी. के. डी. चक्र इस तरह दिखेगा

सोमवार से शुक्रवार तक किटो डायट लें। शनिवार सुबह आपको डिप्लेशन वर्कआउट (उच्च तीव्रता High Intensity) पूर्ण शरीर, उच्च मात्रा, उच्चत्तर रेपो कसरत करने की जरूरत होती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपके ग्लाइकोजन का स्तर पूरी तरह से समाप्त हो गया है। जिसके बाद आप ग्लूकोज+प्रोटीन, हर 2 घंटे में अगले 8 घंटों के लिए कुछ सरल कार्ब लें। अगले 16 घंटों में आप चावल चिकन, पास्ता, जई और अन्य जो आप चाहें ऐसा कोई ठोस भोजन ले सकते हैं।

रविवार को आप उपरोक्त तरीके से कार्य को लोड करना जारी रख सकते हैं या यदि आपने शनिवार को बहुत कार्य लिया है और बॉडी मस्कुलर नहीं दिख रही है तो अतिरिक्त कैलोरी को जलाने के लिए कुछ कार्डियो करें। आप अपने रखरखाव (मेन्टेनेन्स) कैलोरी में किटो या कार्ब डायटिशियन के परामर्श से ले सकते हैं।

लो कार्ब डायट (Low Carbohydrate Diet) LCD

कम कार्बोहाइड्रेट या बिना कार्बोहाइड्रेट वाला आहार वजन घटाने के लिए बहुत ही अच्छा होता है। कम कार्ब का मतलब ही है आहार में प्रोटीन का ज्यादा होना लेकिन शरीर के लिए कार्बोहाइड्रेट भी कुछ मात्रा में आवश्यक है।

इसमें फैट 40 भाग. कार्बोहाइड्रेट 25 भाग व प्रोटीन 35 भाग लेने का विधान है (F-40, C25, P35)। फैट की मात्रा ज्यादा लेने के लिए कहा है क्योंकि फैटी डाइट हमें तृप्त (Satisfied) रहने में मदद करता है। यह फैट फाइबर (सलाद आदि) के साथ लेना आवश्यक है। इसके अलावा यह डायबिटिक पेशन्ट के लिए भी अच्छा है। डायबिटिक रोगी विशेषज्ञ से सलाह लेकर इस डाइट का सेवन कर सकता है।

इसलिए हमें अपने आहार में कम कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार शामिल करना चाहिए। निम्नलिखित खाद्य पदार्थों में बहुत कम कार्बोहाइड्रेट होता है और हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।

  1. बादाम (कार्बोहाइड्रेट की कमी)
  2. सन बीज (वजन घटाने के लिए)
  3. राजमा (कम कार्बोहाइड्रेट भोजन का स्रोत)
  4. मूंग दाल (लो कार्ब डाइट )
  5. पनीर (कम कार्बोहाइड्रेट और उच्च प्रोटीन खाद्य पदार्थ)
  6. दही (कम कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन)
  7. लाल चना (वजन कम करने के लिए उपयोगी)
  8. अंकुरित अनाज (कम कार्बोहाइड्रेट के स्रोत )
  9. दूध (कम कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीनयुक्त आहार)
  10. सोयाबीन (कम कार्बोहाइड्रेट पदार्थ)
  11. अंडे का सफेद हिस्सा (उच्च प्रोटीन, कम कार्ब डाइट)
  12. चिकन (वजन कम करने के लिए कम कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन)
  13. मछली (लो कार्ब उच्च प्रोटीन आहार)

वजन घटाना हो तो कम वसा युक्त भोजन करने की अपेक्षा कम कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करना अधिक कारगर होगा कम कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन न सिर्फ वजन घटाने में कारगर है, बल्कि यह हृदय से संबंधित बीमारी को दूर करने में भी उपयोगी है। कम कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन की ये खूबियां एक नए अध्ययन से सामने आई है। यह वजन घटाने के लिए कम वसा युक्त भोजन करने की अब तक दी जाने वाली सलाह से थोड़ी अलग हैं

कार्बोहाइड्रेट का सेवन कब करें? (Carb Back Loading )

  1. सुबह उठने पर यदि हम नाश्ते में ओट्स या कोई कार्बोहाइड्रेट लेते हैं तो उससे कार्टिसोल व इन्सुलिन के स्राव के द्वारा फैट जमा होता है।
    अतः नाश्ते में कार्बोहाइड्रेट का सेवन न करें। यदि मसल्स बनाना चाहते हैं तो प्रोटीन व फैट्स का सेवन करें। इससे कुछ हद तक फैट कम होता है। फैट व प्रोटीन सेवन करने से इन्सुलिन का स्तर नहीं बढ़ता। यदि आपका लक्ष्य फैट कम करना है तो नाश्ते का सेवन न करें।
  2. दोपहर में भी फैट्स व प्रोटीन ही ले, यहां भी कार्बोहाइड्रेट लेने की जरूरत नहीं क्योंकि विश्राम की अवस्था में हमारा शरीर ग्लाइकोजन को बर्न नहीं करता बल्कि वह फैट के रूप में जमा होता है। अतः दोपहर में प्रोटीन व फैट का सेवन ही उचित है।
  3. रात के भोजन में कार्बोहाइड्रेट का सेवन कर सकते हैं। रात में कार्बोहाइड्रेट लेने से मांसपेशी क्षय (Muscle Loss) से बचाव होकर फैट भी कम होता है। रिसर्च के अनुसार इन्सुलिन सेन्सिटिविटी सुबह के समय अधिकतम होती है जिससे फैट सेल व मांसपेशी सेल प्रभावित होते है। अतः यदि हम सुबह के समय कार्बोहाइड्रेट का सेवन करते है तो मांसपेशी व फैट में अवशोषण (Absorb) होता हैं अतः सुबह के समय कार्बोहाइड्रेट का सेवन न करें। वर्कआउट के बाद प्रोटीन शेक व 45 या 60 मिनट के बाद कार्बोहाइड्रेट ले सकते है। अतः रात के खाने में कार्बोहाइड्रेट के साथ प्रोटीन, फैट व सलाद भी ले सकते है।
    उक्त किटो डायट व लो कार्ब डायट शरीर के लिए फायदेमंद तो है पर हर व्यक्ति में इसकी मात्रा वजन व उम्र के अनुसार अलग-अलग होती है। इस डायट को डायटिशन या डॉक्टर की सलाह से ही अपनाएं।

डॉ. जी.एम. ममतानी
एम.डी. (आयुर्वेद पंचकर्म विशेषज्ञ)

‘जीकुमार आरोग्यधाम’,
238, नारा रोड, गुरु हरिक्रिशनदेव मार्ग,
जरीपटका, नागपुर-14  फोन : (0712) 2646700, 2646600, 3590400
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