Covid Somnia

अपूर्ण अथवा अच्छी नींद नहीं होने से शारीरिक व मानसिक बीमारियां होती हैं। दुनिया में 45 प्रतिशत लोग नींद से जुड़ी बीमारियों का सामना कर रहे हैं। हाल ही में एक अध्ययन ठीक में पाया गया है कि अच्छी नींद होने से रोगप्रतिरोधक शक्ति से कम होने से कोविड जैसी बीमारी होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए अब स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता बरतते हुए नागरिक नींद को अब ज्यादा महत्व देने लगे है।
अपर्याप्त नींद शरीर पर बुरा असर डाल सकती है। हृदय रोगियों के लिए बेहद नुकसानदेय है। इससे कॉलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। साथ ही मस्तिष्क से जुड़े रोग भी सता सकते है।

पिछले वर्ष 2020 से कोरोना महामारी ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। कोरोना के परिणाम | स्वरूप व्यक्ति की आर्थिक हालत तो कम हो चुकी है साथ ही शारीरिक व मानसिक रोगों का भी आक्रमण हो रहा है। कुल मिलाकर स्थिति ठीक नहीं है। लोग भय, तनाव, अवसाद, एन्जाइटी से परेशान है जिसके कारण नींद न आने की समस्या भी हो रही है जिसे कोविडसोम्निया (Covidsomnia) का नाम दिया है। आइए इस लेख द्वारा हम कोविडसोम्निया की जानकारी प्राप्त करें।

कोरोना महामारी के शुरू होने के बाद से दुनिया भर में लोग महसूस कर रहे हैं कि वे ढंग से सो नहीं पा रहे। एक सर्वे में 37 प्रतिशत लोगो ने माना है कि महामारी ने उनकी नींद पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। सर्वे में शामिल 70 प्रतिशत युवाओं कहा कि कोरोना महामारी शुरू होने के बाद उन्हें नींद से जुड़ी एक या उससे अधिक प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। महिलाओं में इस तरह की समस्या और ज्यादा देखी गई है। दुनिया भर के स्लीप न्यूरोलॉजिस्ट ने इसे ‘कोविडसोम्निया’ नाम दिया है। इसके पीछे कोरोना वायरस से संक्रमित होने का भय, परिजनों एवं नजदीकियों के स्वास्थ्य के प्रति चिंता, आर्थिक परेशानी, सामाजिक संपर्कों में आ रही कमी आदि प्रमुख कारण है।

अनिद्रा (Insomnia) दुनिया भर की आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, जो हर उम्र के पुरुषों और महिलाओं में हो सकती है। अनिद्रा की परिभाषा बहुत सरल है। अनिद्रा एक स्लीप डिसऑर्डर है जिसमें नींद लगने या उतनी देर तक सोने में समस्या आती है जितनी देर आप सोना चाहें। यह किसी भी उम्र में हो सकती है। यह दो प्रकार का होता है

शार्ट टर्म (तीन सप्ताह तक) या लाँग टर्म (तीन सप्ताह से अधिक) । अनिद्रा के चार पैटर्न हैं- 1) नींद आने में समस्या 2) रात में नींद खुल जाना और दोबारा न आना 3 ) सुबह उठने के बाद फ्रेश अनुभव न करना 4) दिन में नींद आना तथा उत्तेजना या चिड़चिड़ापन ।

नींद ना आना या लंबे समय तक ना सो पाने की समस्या को अनिद्रा कहते हैं। अनिद्रा के विभिन्न प्रकारों से लोग पीड़ित हैं। अल्पावधि या तीव्र अनिद्रा, इसका एक आम प्रकार है, यह कुछ दिनों के लिए होती है या कुछ दवाएं या जीवनशैली में किये गये मामूली बदलावों से होती है। अगर अनिद्रा की समस्या काफी लंबे समय के लिए रहे और गंभीर रूप से आपके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है तो यह एक बहुत गंभीर और चिरकारी समस्या है जिसे योग्य चिकित्सक के मार्गदर्शन की जरूरत है। अगर एक व्यक्ति 30 दिनों से भी अधिक समय तक के लिये ठीक से ना सो पाएं तो इसका अर्थ यह है कि वह चिरकालीन अनिद्रा का शिकार है। चिरकालीन अनिद्रा से पीड़ित मरीजों को ” इंसोम्नियाक्स (Insomniacs) कहा जाता है ।

पर्याप्त नींद क्या है ?

पर्याप्त नींद वह है जब आप अगले दिन सुबह उठने पर तरोताजा और चुस्त अनुभव करते हैं। हर व्यक्ति की निद्रा की आवश्यकता अलग-अलग होती है। अधिकतर वयस्कों के लिए यह मात्रा 6–8घंटे होती है। लेकिन बहुत लोगों के लिए 9-10 घंटे होती है। कुछ के लिए यह मात्रा छःघंटे या उससे भी कम होती है। सामान्यतः जो लोग नियमित 6-8 घंटे की नींद लेते है, उनका स्वास्थ्य बेहतर रहता है। नींद दो प्रकार की होती है। गहरी नींद, जिसमें अगर व्यक्ति पांच घंटे भी सो जाता है तो शरीर को आराम मिलता है। दूसरी कच्ची नींद ये भले ही आठ घंटे की हो तो भी शरीर को आराम नहीं मिलता और दिन भर थकान और सुस्ती बनी रहती है।

मस्तिष्क का अग्र भाग संभवतः नींद की प्रेरक और अवरोधी क्रियाओं का केन्द्र है। अग्र हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) की क्षति से अनिद्रा की दशा उत्पन्न हो जाती है। मस्तिष्क के अग्र बेसल भाग के रोग पूर्ण अनिद्रा की अवस्था पैदा कर देते हैं। आर.ए.एस. (रेटीकुलर एक्वीवेटिंग सिस्टम जो मैडुला, पॉन्स तथा मिडब्रेन से होकर हाइपोथैलमस की ओर जाता है) मनुष्य को जगाए रखने के लिए आवश्यक है। यदि आर.ए.एस. के ऊपरी भाग को आघात पहुंचाए तो व्यक्ति निद्रा व बेहोशी (कोमा) की अवस्था में पहुंच जाते हैं। आर.ए.एस. के विपरीत एक अन्य तंत्र (सिस्टम) काम करता है जिसका स्थान है मिडलाइन रैफे – जो कि ब्रेनस्टेम में होता है। यदि किसी रोग से इस रैफे को क्षति पहुंचे तो चिर-अनिद्रा की अवस्था उत्पन्न हो जाती है।

वे दवाएं जो सिरोटोनिन के बनने तथा प्रभाव में अवरोध उत्पन्न करें अनिद्रा का कारण हो सकती हैं। कॉर्टिसोल एक स्ट्रेस हार्मोन है। यदि शरीर में इस हार्मोन की मात्रा ज्यादा है तो इसे प्राइमरी इन्सोमनिया का संकेत माना जा सकता है । जैविक घड़ी सोने और जागने का चक्र हमारे मस्तिष्क के द्वारा नियंत्रित होता है जो प्रतिदिन की दूसरी चीजों को भी नियंत्रित करता है। जैसे शरीर के ताप hat H परिवर्तन, रक्तचाप और हार्मोन का स्राव। इसमें मेलेटोनिन रसायन प्रमुख भूमिका निभाता है इसे अंधेरे का हार्मोन भी कहते है । इसकी कमी चौकन्नापन बढ़ाती है और अधिकता उनींदापन बढ़ाती है, जिससे शरीर स्लीप मोड में आ जाता है।

कारण :- आज वैश्विक आबादी का एक बड़ा भाग इन्सोमनिया या अनिद्रा की समस्या से ग्रस्त है । भारत में यह समस्या अत्यधिक गंभीर है। महानगरों के 50 प्रतिशत लोग पूरी नींद नहीं ले पाते। अनुसंधानकर्ताओं का दावा है कि अनिद्रा करीब 86 प्रतिशत बीमारियों का कारण है जिनमें अवसाद सबसे प्रमुख है।

भावनात्मक समस्याएं जैसे तनाव (Stress) एग्जाइटी (Anxiety) और अवसाद (Depression) अनिद्रा के सबसे बड़े कारण है लेकिन आपकी दिनचर्या और शारीरिक स्वास्थ्य भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कुछ दवाइयां भी नींद में बाधा डाल सकती है जैसे अवसाद, उच्च रक्तचाप, हाइपरथायरॉइडिज्म के उपचार के लिए भी ली जाने वाली दवाइयां । गर्भ निरोधक गोलियां और कार्टिकोस्टेरॉयड भी अनिद्रा का कारण बन सकते हैं। अत्यधिक कैफिन और अल्कोहल, तंबाखू का सेवन व प्रबल कामेच्छा अनिद्रा की समस्या को और बढ़ा देता है। देर रात तक इंटरनेट चलाने या टीवी देखने से सोने में समस्या आती है।

कोरोना के कारण तनाव बढ़ रहा है। इसी तनाव के चलते लोग इंसोम्निया (नींद न आना या टूट जाना) के शिकार हो रहे हैं। एक शोध के अनुसार लॉकडाउन के दौरान चीन में इंसोम्निया की दर 14.6 से 20% तक बढ़ गई । इटली और ग्रीस में यह दर 40% तक पाई गई। लक्षण :- नींद न आना या बार-बार टूटना। दिन के वक्त थकान महसूस होना या नींद आना। सोते वक्त बार-बार उठना या देर से सोने के बाद भी जल्दी नींद खुल जाना। जब एक व्यक्ति की रोज की नींद पूरी नहीं होती तो उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आना स्वाभाविक है। ऐसे लोगों को बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है तथा चिंता या अवसाद का शिकार हो सकते हैं। वे असामान्य व्यवहार प्रकट कर सकते हैं। वे चीजों को याद करने व किसी बात पर ध्यान देने में विफल हो सकते हैं।

अगर अनिद्रा के लक्षणों का जल्द निदान और इलाज ना कराया जाए, तो यह गंभीर समस्या बन सकती है जैसे रोगी हमेशा के लिए अवसाद का शिकार हो सकता है। यहां इसका विवरण प्राथमिक या अल्पकालिक अवसाद के संदर्भ में नहीं बल्कि ऐसी मेडिकल स्थिति में हो रहा है जहां व्यक्ति के मस्तिष्क का न्यूरोट्रांसमीटर क्षीण हो जाता है।

कितनी देर नींद होनी चाहिए ?

एक व्यक्ति को कितने देर सोना चाहिये इस संबंध में कोई निश्चित नियम निर्धारित करना कठिन है। भिन्न-भिन्न उम्र के व्यक्तियों के लिए नींद की मात्रा उनकी प्रकृति आदि के अनुसार ही भिन्न-भिन्न होती है। एक नवजात शिशु पुरे 24 घंटे सोता है। एक अथवा दो वर्ष के बालक को 15-16 घंटे की नींद अपेक्षित होती है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है उसकी नींद का समय भी कम होता जाता है। युवाओं को 8 घंटे की नींद पर्याप्त होती है। नेपोलियन 4 घंटे की नींद में ही विश्वास रखता था। महर्षि दयानंद तो मात्र 2 घंटे ही सोते थे अतः किसी व्यक्ति की नींद को कोई निश्चित समय सीमा में नहीं बांधा जा सकता है। पूर्ण नींद की कसौटी यह है कि जब व्यक्ति सोकर उठे तो वह अपने आप को पूर्ण रुप से आनंदित, तरोताजा तथा तनाव रहित महसूस करे उतनी ही घंटे की नींद उस व्यक्ति के लिए आवश्यक है।

नींद के लाभ

  • हृदय निरोगी रहता है।
  • तनाव कम होता है ।
  • तनाव के हार्मोन का स्त्राव कम होता है रक्तचाप नियमन और हृदय अच्छा रहता है।
  • स्मरणशक्ति और एकाग्रता अच्छी रहती है ।
  • शरीर नींद में होने पर मस्तिष्क दिनभर की अथवा पहले की घटनाएं, भावना, स्मृति अनुभव आदि का समन्वय करने का कार्य करता है
  • उत्साह व सतर्कता बढ़ती है ।
  • नींद में कोशिकाएं ज्यादा प्रोटीन बनाती हैं. इसका उपयोग खराब कोशिकाएं तथा स्नायु की मरम्मत और संवर्धन करने में होता है ।
  • निराशा कम होती है ।
  • बीमारी में सुधार होता है
  • विशेष तौर पर रोगप्रतिरोधक शक्ति मजबूत होती है इसके जरिये अन्य बीमारियों को दूर रखने में मदद मिलती है ।

नींद की कमी के नुकसान

नींद लगना, नींद पूरी होना और नींद से जागने के बाद तरोताजा महसूस होना अच्छे स्वास्थ्य का लक्षण है. इन तीनों में कोई भी एक अथवा तीनों में समस्या होने पर उसे निद्रानाश करार दिया जाता है लंबे समय तक निद्रानाश की समस्या मानिसक संतुलन में खराबी आने के अलावा, कैंसर, आर्थराइटिस, मधुमेह, और हृदयरोग के लिए भी कारण बनती है। अपर्याप्त नींद होने से रक्त चाप अनियमित होता और रक्त का कोलेस्ट्रल बढ़ता है ।

हार्ट अटैक का खतरा :- नींद पूरी न होने पर ब्लड प्रेशर लंबे समय तक हाई बना रहता है। ब्लड प्रेशर की यही बढोतरी ही हृदय रोग का प्रमुख कारण है।

मोटापा :- लेप्टिन और घेलिन दो ऐसे हार्मोन हैं जो भूख को नियंत्रित करते हैं। पूरी नींद न होने पर हार्मोन का संतुलन इस तरह बिगड़ता है कि भूख ज्यादा लगती है।

टाइप २ डायबिटीज :- अनिद्रा की स्थिति में शरीर निरंतर स्ट्रेस अवस्था में रहता है। स्ट्रेस डायबिटीज का बड़ा कारण है ।

एक अध्ययन में पाया गया है कि 63 संक्रमितों को कोविड की बीमारी होने से पहले नींद की समस्या थी । पर्याप्त नींद नहीं होने से रोगप्रतिरोधक शक्ति कमजोर होती है। इसके कारण कोविड संक्रमण का खतरा होने की पुष्टि हुई है। इस तरह पर्याप्त और अच्छी नींद होना ही एकमात्र उपाय है।

आयुर्वेद मत

चरक संहिता में उल्लेख है सुख-दुख, ज्ञान-अज्ञान, पुष्टि- कमजोरी, बल एवं अबल नींद के अधीन हैं। यदि समुचित नींद ली जाए, सही समय पर सही तरह सोया जाए तो आनंद, पुष्टि और बल की प्राप्ति होती है ।

आयुर्वेदानुसार वात व पित्तवर्धक कारण से व्यक्ति का वात अनियंत्रित हो जाता है, उससे अनिद्रा की समस्या उत्पन्न होती है। इसलिये वृध्दावस्था में वात दोष बढ़ने से नींद कम आने लगती है। गलत खानपान एवं अनियमित जीवनचर्या के कारण वात और पित्त का प्रकोप निद्रा को प्रभावित कर देता है। अत्यधिक चाय और कॉफी लेने से भी वात में गड़बड़ उत्पन्न होती है। मानसिक तनाव से बात में भारी असंतुलन उत्पन्न होता है। व्यक्ति को नींद आने में दिक्कत महसूस होती है तथा बिस्तर पर करवटें बदलने में ही उसकी रात्रि व्यतीत हो जाती है। पित्त की विकृति से उत्पन्न अनिद्रा में सोने के पश्चात व्यक्ति बार-बार उठ जाता है. डर, घबराहट, धड़कन का बढ़ना, पसीना आना इत्यादि लक्षण नींद के टूटने पर महसूस किए जाते हैं। यह भी हो सकता है व्यक्ति की नींद सुबह जल्दी ही टूट जावे और उठने के बाद फिर से उसे नींद नहीं आती। हालाकि यह लगता है जैसे निद्रा पूरी नहीं हुई और सोने के पश्चात जो ताजगी मिलती है वह व्यक्ति को अनुभव नहीं हो पाती ।

वास्तव में अनिद्रा का रोग तीनों दोषों में विकृति के कारण हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार तर्पक कफ, साधक पित्त और प्राण वात में अभिवृद्धि अथवा असंतुलन उत्पन्न होने से अनिद्रा रोग व्यक्ति को ग्रसित कर लेता है। प्राण वात के कुपित होने से मस्तिष्क की तंत्रिकाएँ अति संवेदनशील हो जाती है। इस कारण अनिद्रा का रोग किसी भी कारण से उत्पन्न हो जाता है।

उपचार

अनिद्रा का मूल कारण निदान कर पहले उसका इलाज करना चाहिये न कि पहले से ही निद्राकर औषधियां लेना चाहिए। किसी चिकित्सकीय या भावनात्मक समस्या के कारण आपको नींद नहीं आती तो पहले उसका उपचार कराएं। एक अनुशासित दिनचर्या का पालन करें।

अरोमाथैरेपी

अगर अनिद्रा का कारण तनाव है, तो गंधचिकित्सा एक अच्छा सुझाव है। नीचे दिए गए कुछ गंधयुक्त तेल अनिद्र को दूर करने में लाभकारी है।

  1. गुग्गुल – शामक और पीड़ानाशक । कण्ठ की सूजन खाँसी और चिंता के कारण होती अनिद्रा की समस्या से लड़ने में मदद करता है।
  2. चमेली – यह बहुत आराम और सुकून प्रदान करता है और अवसादरोधी के रूप में जाना जाता है। यह सांस की तकलीफ और अवसाद में लाभदायक है।
  3. लैवेंडर – यह हर तरह के दर्द, सिरदर्द तथा शरीर की अकड़न को दूर भगाकर एक अच्छी नींद दिलाता है। आघात के कारण पैदा हुई अनिद्रा की समस्या से छुटकारा पाने में मदद करता है।

आयुर्वेदिक औषधियाँ

मस्तिष्क के कार्यो का संतुलन व मन का एकाग्र होना बहुत ही जरुरी है इसलिए अनिद्रा के रुग्णो में मेध्य औषधियों का सेवन अवश्य करना चाहिये जैसे ब्राह्मी, तगर, सर्पगंधा, वचा, शंखपुष्पी, अश्वगंधा जटामांसी आदि ।

इसके अलावा स्वर्णमाक्षिक भस्म, वातकुलान्तकरस, निद्रोदयरस, निद्राकरवटी, सर्पगंधाघनवटी, मुक्ताभस्म, प्रवालभस्म, रसायनचिकित्सा में शतावरी या अश्वगंधाघृत, ब्राह्मरसायन, सारस्वतारिष्ट, शंखपुष्पीचूर्ण, सारस्वतचूर्ण, सुवर्ण युक्त ब्राह्मी वटी, अश्वगंधा वटी, पिप्पली मूल चूर्ण का सेवन योग्य चिकित्सक के परामर्शानुसार करे।

घरेलु नुस्खे

1 चम्मच ब्राह्मी और अश्वगंधा का पाउडर 2 कप पानी आधा रह जाने तक उबालें रोज़ सुबह इसका सेवन करना लाभदायक है।

  • निद्रा न आती हो तो सेब का नियमित सेवन करें, इससे गहरी नींद आएगी।
  • यदि रात्रि में निद्रा न आती हो अथवा नींद के बीच में बाधा पैदा होती हो तो प्याज के सलाद में दही मिलाकर रात्रि को खाने से निद्रा न आने की परेशानी खत्म हो जाती है।
  • सोते समय चुटकीभर अजवाइन अवश्य खाएं।
  • तरबूज के बीज की गिरी और सफेद खसखस अलग- अलग पीसकर बराबर वजन मिलाकर रख लें। तीन ग्राम औषधि प्रातः एवं सायं लेने से रात में नींद अच्छी आती है, रक्त का दबाव कम होता है और सिर दर्द ठीक होता है। आवश्यकतानुसार एक से तीन सप्ताह तक लें।

व्यायाम

नींद लाने में उपयोगी व्यायाम स्ट्रेचिंग है जो नींद में मददगार होता है।

  1. लेग्स अप द वॉल पोज होल्ड : 10 मिनट तक ।
  2. चाइल्ड पोज होल्ड : 5 मिनट तक
  3. सीटेज फॉरवर्ड बैंड होल्ड : 5 मिनट तक
  4. नील स्ट्रेज होल्ड : 30 सेंकड तक ।

योगाभ्यास एवं प्राणायाम

नियमित रूप से मौलिक योग आसनों के अभ्यास के बाद यदि शवासन किया जाए तो इससे अनिद्रा के रोग से सहज ही छुटकारा मिल जाता है और योगासन करने के पश्चात यदि नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास 20-30 मिनट रोज़ हो तो शीघ्र ही अनिद्रा तो निवृत्त होती ही है, इसके साथ ही साथ पूरे तंत्र (Nervous System) में ताकत आ जाती है। विश्राम की विधियों से मासपेशियों और मस्तिष्क का तनाव कम किया जा सकता है। इन विधियों में प्रमुख हैं – योगासन, योग-क्रियाएं, श्वास-क्रियाएं, ध्यान (मेडीटेशन), शिथिलीकरण (रिलैक्सेशन), जीव- पुनर्निवेशन (बॉयोफीडबैक), बिहेवियर थेरेपी, कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी आदि । बॉयोफीडबैक में एक मशीन का उपयोग किया जाता है। जिससे मांसपेशियों के तनाव का पता चलता है। रोगी अपनी इच्छा-शक्ति से तनाव कम करने की कोशिश करता है और जब वह इस क्रिया में सफल हो जाता है तो उसके शरीर के भीतर स्वचालित अनैच्छिक क्रियाओं पर भी काबू पा लेता है।

अनिद्रा ग्रस्त रोगी प्रकृति के साथ अधिक समय बिताए । रोज ऐसा करने से मस्तिष्क में प्रकृति के साथ तालमेल बैठने से व्यक्ति अच्छी निद्रा का अनुभव कर सकता है। योगक्रियाओं में सीतली-सीत्कारी प्राणायाम, शवासन, शशांकासन, दीर्घश्वसन, उत्थितविवेकासन, ओंकार प्राणायाम, पद्मासन, ज्ञप्रमुद्रा, योग निद्रा प्रतिदिन करने से भी मस्तिष्क संबंधी सभी रोग निवृत्त हो जाते हैं और निद्रा की गुणवत्ता भी बढ़ जाती है। योगनिद्रा व अन्य योग क्रियाओं की विस्तृत जानकारी लेखिका द्वारा लिखित ‘योगासन- स्वस्थ जीवन का शिल्पकार” पुस्तक से प्राप्त करे।

पंचकर्म द्वारा कोविडसोम्निया का उपचार

पंचकर्म द्वारा शिरोबस्ती, शिरोधारा, नस्य, अभ्यंग कर अनिद्रा रोग से छुटकारा पाया जा सकता है। इस क्रिया में पूरे शरीर की मालिश वात-शामक औषधि सिद्ध तेलों द्वारा की जाती है।

शिरोभ्यंग व पाद अभ्यंग – पैरों के तलवे व कपाल को क्षीरबला तेल या शतावरी सिद्ध तेल या शतधौत घृत की मालिश करने से पूरे सिर सहित मस्तिष्क की नसों में विश्रान्ति उत्पन्न होती है। ब्राह्मी या बादाम रोगन के तेल से सिर में की गयी मालिश अत्यंत गुणकारी है।

शिरोधारा – 2 लीटर भैस के दूध में 60 ग्राम आंवला पाउडर डालकर उबालकर दही बनाए। इस दही में पानी मिलाकर उसका छाछ बनाए और उसका मक्खन अलग कर छाछ की धारा रोगी के कपाल भाग पर 15-20 मिनट के लिए छोड़े इससे नींद अच्छी आती है। इसके अलावा ब्राह्मी, ज्योतिष्मती आदि तेल से भी धारा चिकित्सा की जाती है।

उत्सादन – शरीर पर विभिन्न औषधियों का उबटन लगाना चाहिये।

नेत्रतर्पण – से आखों के विकार दूर होकर नींद आती है।

पंचकर्म की अन्य क्रियाएं रोगानुसार चिकित्सक परामर्शानुसार करना चाहिए। हमारे जीकुमार आरोग्यधाम में अनिद्रा के कई रुग्णों को केवल पंचकर्म से ही लाभ होता पाया गया है।

सुझाव

दोपहर में कैफीन न लें :- दोपहर 2 बजे के बाद चाय, कॉफी कम पिएं। नींद की गहरी अवस्था, जिसमें रैपिड आई मूवमेंट होता है उसे कैफीन प्रभावित करती है।

सोने से पहले मोबाइल से बचें :- मोबाईल टीवी, कम्प्यूटर की ब्लू स्क्रीन हार्मोन मेलाटोनिन की मात्रा को कम करती है। पलकों का झपकना भी कम होता है।

कमरे का तापमान :- बेडरूम का तापमान 16-19 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। यह नींद लाने में मदद करता है।

  • ताजे फलों और सब्जियों का सेवन, छिलकासहित पिसे हुए अन्न, छिलका सहित दालें, दुग्ध एवं मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  • रात्रि का खाना सोने से 2-3 घंटे पहले हो जाना चाहिए ।
  • अनिद्रा से ग्रस्त रोगी ठंडी हवा मे अवश्य जाए व सिर पर लाल जास्वंद का फुल पीसकर लगाएं।
  • यदि रात्रि को नींद नहीं आ रही हो तो सोने से पूर्व जल पिएं और हाथ-पैरों को ठंडे पानी से धोकर पाँछ लें। इससे सुखद नींद आएगी।
  • कोई अच्छी स्वास्थ्य संबंधी किताब पढे, किसी मंत्र या अपने इष्ट देव को स्मरण करते हुए सोने से गहरी नींद आती
  • जिन्हें नींद न आती हो या गहरी नींद के लिए तरसते हैं उन्हें अपने हर भोजन के साथ कच्चा प्याज जरुर खाना चाहिए। केवल रात्रि के भोजन में प्याज का सलाद लिया जाए तो भी नींद अच्छी आयेगी।
  • पानी भरकर दोनों पैरों को 5-10 मिनट तक डालकर आपस में पैरों से मालिश करें, तत्पश्चात पैर पोंछ लें, शीघ्र नींद आएगी।

इस तरह आयुर्वेदिक वनौषधियों, नियमित योगाभ्यास, उपरोक्त उपाय व पंचकर्म जो कोविडसोम्निया का रुग्ण सुखद व गहरी नींद (Sound Sleep) का आनंद ले सकता है। अतः इन्हें अपनाकर बिना नींद की गोली के गहरी नींद का लाभ पाया जा सकता है।

डॉ. अंजू ममतानी
‘जीकुमार आरोग्यधाम’,
238, नारा रोड, गुरु हरिक्रिशनदेव मार्ग,
जरीपटका, नागपुर-14 फोन : (0712) 2646700, 2646600
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